27 दिन किसान आंदोलन का - कॉन्ट्रैक्ट खेती से कितना फ़ायदा, कितना नुक़सान

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देश में हाल में लाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध जारी है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पंजाब के किसानों की आशंका है कि इन कानूनों की वजह से उनकी खेती पर कॉर्पोरेट कंपनियों का कब्ज़ा हो जाएगा। किसानों का यह भी कहना रहा है कि कंपनी के साथ किसी विवाद की हालत में अदालत का दरवाज़ा खटखटाने का विकल्प बंद कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन अगर कंपनियों का साथ दें तो किसान कहाँ जाएगा। किसानों को लगता है कि छोटे जोतदार उनके गुलाम हो जाएंगे। इन तीन कानूनों में एक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाज़त देता है। इसे लेकर किसान खासे आशंकित हैं। इसके उलट सरकार को लगता है कि यह किसानों को उनकी फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाएगी। साथ ही, उन्हें खेती के नए तरीकों और टेक्नोलॉजी से रूबरू कराएगी।
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