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छत्तीसगढ़ में धान खरीदी में अड़चनें पैदा करने के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार : कांग्रेस
रायपुर : प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि दिल्ली बार्डर पर आंदोलनरत किसानों को आठ दौर की बातचीत के बाद भी केन्द्र सरकार ने राहत नहीं दी है। मोदी सरकार की अडिय़ल रवैयै से किसान भारी ठंड और बारिश में भी सड़कों पर ठिठुरने मजबूर हैं। कई किसानों की शहादत पर भी केन्द्र सरकार पिघल नहीं रही है और अपनी हठधर्मिता और अहंकार के चलते अभी और न जाने कितने किसानों को जान देने मजबूर करेगी। उन्होंने कहा कि पिछली वार्ता के दौरान जिस तरह सरकार ने नरमी दिखाते हुए पराली जलाने पर सजा में रोक और बिजली की सब्सिडी जारी रखने की मांग मान ली थी उसी तरह एमएसपी पर लिखित आश्वासन के साथ तीनों कानून वापस लेकर सरकार को इस दौर की वार्ता में किसानों का आंदोलन समाप्त कराना था लेकिन कानून वापस नहीं लेने की जिद पर अड़ी सरकार किसानों को लंबी लड़ाई के लिए मजबूर कर रही है। इससे किसान हितैषी सरकार होने का दम भरने वाली एनडीए सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। दरअसल मोदी सरकार किसानों के बजाय पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के एजेंडे पर ही काम करना चाहती है। आंदोलनरत किसानों को केन्द्र सरकार द्वारा तारीख पर तारीख देकर समय व्यर्थ करने और किसानों को परेशान करने का क्या औचित्य है? क्या रोजाना किसानों के साथ चर्चा कर समाधान नहीं निकाला जा सकता है? इससे सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा होता है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने जारी बयान में छत्तीसगढ़ में धान खरीदी में अड़चने पैदा करने के लिए भी केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा समय पर पर्याप्त बारदाना उपलब्ध नहीं कराने से धान की खरीदी पर असर पड़ रहा है वहीं एफसीआई द्वारा अभी तक चावल का उठाव नहीं करने से भी संग्रहण केन्द्रों में जाम के चलते कई केन्द्रों में खरीदी रोकनी पड़ी है। इन समस्याओं के लिए केन्द्र की सरकार सीधे-सीधे जिम्मेदार है। वहीं उन्होंने इस मामले में प्रदेश के भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही बयानबाजी और हल्लाबोल की तैयारी पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रदेश के भाजपा नेता हार और सत्ता से बाहर होने का खीझ मिटा नहीं पा रहे हैं और किसानों को बरगलाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के किसान दो साल में भूपेश सरकार से मिले फायदों से इतने गदगद हैं कि भाजपा नेताओं का प्रलाप उनके कानों तक भी नहीं पहुंच रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर केन्द्र सरकार के रुख से छत्तीसगढ़ के किसान भी वाकिफ है और उन्हें समझ में आ रहा है कि भाजपा की किसान हितैषी होने के दावे कितने खोखले हैं।
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