कपिलदेव का जवाब अभी भी नहीं..

लेखक: संजय दुबे

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 भारत के क्रिकेट युग मे  अजित वाडेकर के वेस्टइंडीज औऱ इंग्लैंड में लगातार दो टेस्ट सीरीज जीतने के दौरान मेरी क्रिकेट की समझ महज 11 साल की थी याने क ख ग भी नहीं जानता था लेकिन जब क्रिकेट का चस्का लगा तब केवल औऱ केवल सुनील गावस्कर ही इकलौते हीरो थे वो भी इसलिए क्योकि वे डेढ़ बल्लेबाज़ों की भारतीय टीम में  अकेले महानायक थे जो हारते हुए टेस्ट को ड्रा करने की हैसियत रखते थे। 1979 में मेरे नायकों की संख्या एक से बढ़कर दो हुई।नये नायक बने हरियाणा के हरिकेन्स कपिलदेव,।  क्रिकेट  की समझ के  1971 से 1979 के समय मे ये समझ मे नही आता था कि लिली टॉमसन  मार्शल होल्डिंग ,जॉन स्नो, हैडली जैसे तेज़ गेंदबाज हमारे देश मे क्यो नहीं है। क्यो सुनील गावस्कर को स्पिनरों के लिए नई  बॉल की चमक को थोड़ा कमजोर करने के लिए  पहला ओवर फेकना पड़ता है।
1979 का साल मेरे इस प्रश्न का उत्तर था कपिलदेव के रूप में। कहते है कि युग बदलने के लिए बस एक व्यक्ति की जरूरत होती है भारत के क्रिकेट को एक तरफ सुनील गावस्कर ने बल्लेबाज़ी ने थामा हुआ था तो दूसरी तरफ नई बॉल के लिए कपिल जन्मे। शानदार आउट स्विंग के सरताज थे कपिलदेव।  बॉल फेकने के लिए जब वे रनअप से स्टार्ट लेते तो लगता कि एक सरगम  की लय बंध रही है। 1981 में वे ऑस्ट्रेलिया में थे।दर्दनाशक इंजेक्शन ले कर मैदान में आये और जिस तरह से वे ऑस्ट्रेलिया पहला टेस्ट जीत चुका था,दुज़रे टेस्ट ड्रा  हुआ। तीसरे टेस्ट में जब  ऑस्ट्रेलिया चौथी पारी खेलने उतरी तो जीत के लिए 132 रन स्कोर बोर्ड पर टेंगा था। कपिलदेव दर्द से झुझ रहे थे दर्द नाशक इंजेक्शन लेकर आये और ऑस्ट्रेलिया की टीम पर कहर बने  वैसा कम देखने को मिलता है।  महज 28 रन देकर आधी ऑस्ट्रेलिया टीम को पैवेलियन वापस भेजते हुए 81 रन पर समेट कर सीरीज़ बराबर कर दिया। पहली बार कपिलदेव, सुनील गावस्कर से ऊपर हुए थे। 1983 में कपिलदेव सैर सपाटा करनेवाली क्रिकेट टीम के कप्तान बने थे तीसरे प्रूडेंसिएल वनडे कप के लिये। वे जो इतिहास बनाकर आये।भारत क्रिकेट की नई शक्ति बन कर उभरा। कहा जा सकता है इसके अकेले हक़दार कपिलदेव थे। उन्होंने सुरक्षात्मक क्रिकेट से निकाल कर  आक्रामक क्रिकेट के युग मे देश को बदला। आप मान सकते है कि 1983के एकदिवसीय फाइनल में वेस्टइंडीज को भी 183 रन के सामने  झुका देना इसी कपिल के स्वभाव का परिणाम था।  तब के जमाने में जब सुनील गावस्कर विश्व मे सबसे अधिक रन बनानेवाले बल्लेबाज बने तो कपिलदेव भी विश्व मे सबसे अधिक 434 विकेट लेने वाले गेंदबाज भी बने।एक देश को इससे बड़ी उपलब्धि और क्या मिल सकती है।
आज इस महान नायक का जन्मदिन है। ये वही शख्स है जिसके लिए आप भी कह सकते है कपिलदेव तुम्हारा जवाब नही।
मेरे महानायक तुम्हे 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं लगे/मिले।
 


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