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केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारों को सराहा
रायपुर :केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने उठाए गए अभिनव कदमों की सराहना की है। मंत्रालय द्वारा आयोजित सातवें नेशनल हेल्थ समिट ऑन गुड रिप्लीकेबल प्रेक्टिस एंड इनोवेशन इन पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम (7th National Health Summit on Good Replicable Practice & Innovation in Public Health Care System) में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने प्रदेश में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए किए जा रहे विभिन्न नवाचारों के बारे में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन और पोस्टरों के जरिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे नवीन पहलों की जानकारी दी।
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव के नेतृत्व में लोगों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने और लोक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रदेश में लगातार नई पहल की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय समिट में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान, एन.एल.ई.पी. लेपट्रैक, स्मोक-फ्री जशपुर नगर, कॉम्प्रिहेंसिव आई केयर, मितानिन ऑनलाइन पेमेंट, जाँच मितान, स्पेशल एक्शन प्लान फॉर लेप्रोसी तथा केटेगराइजेशन आफ एसेन्शियल सर्विसेस एक्ट एच.डब्ल्यु.सी. ड्यूरिंग कोविड टाइम जैसे नवाचारों के अनुभव साझा किए गए।
केटेगराइजेशन ऑफ एसेंशियल सर्विसेस एक्ट एच.डब्ल्यु.सी. ड्युरिंग कोविड टाइम
कोविड महामारी के दौरान गृह मंत्रालय द्वारा निर्धारित रेड जोन, ऑरेंज जोन व ग्रीन जोन में निर्धारित नियमानुसार राज्य के हेल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर्स द्वारा आवश्यक सेवाओं की निरंतरता बनाये रखी गयी। इसमें मातृत्व स्वास्थ्य, प्रसव संबंधित सेवा, शिशु स्वास्थ्य टीकाकरण, संचारी व गैर संचारी रोग, परिवार नियोजन संबंधित सेवा जैसी सेवाओं की निरंतरता बनाए रखी गयी थी। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की गतिविधियां भी इस दौरान संचालित रहीं।
स्पेशल एक्शन प्लान फॉर लेप्रोसी
छत्तीसगढ़ से कुष्ठ रोग के समूल उन्मूलन हेतु सबसे ज्यादा प्रभावित दो जिलों को चिन्हांकित कर विशेष नवाचार का कार्य किया गया है। इसके तहत दुर्ग व रायगढ़ जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत फ्रंट लाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ को ट्रेनिंग दी गई व नुक्कड़ नाटक, बैनर, रैली व अन्य माध्यमों से व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। चर्म रोग निदान अभियान के तहत दुर्ग जिले में 650 दलों एवं रायगढ़ में 175 दलों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे किया गया तथा शिविरों के माध्यम से लोगों की जाँच की गई। एन.एल.इ.पी. लेपट्रैक (मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन) के माध्यम से कुष्ठ मरीज़ों की निगरानी के साथ ही कुष्ठ मरीज़ों के फॉलो-अप का कार्य भी किया जा रहा है।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरुआत 15 जनवरी 2020 को बस्तर संभाग से की गई थी जिसके अंतर्गत पहले चरण में 14 लाख छह हजार लोगों की मलेरिया जांच कर पॉजिटिव पाए गए 64 हजार 646 लोगों का पूर्ण उपचार किया गया। वहीं दूसरे चरण में कोरोना संक्रमण से बचने की चुनौतियों के बीच स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 23 लाख 75 हजार लोगों की जांच कर मलेरिया पीड़ित 30 हजार 076 लोगों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराया गया। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान मलेरिया के साथ ही अनीमिया और कुपोषण दूर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
मितानिन ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम
मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री की पहल पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ के नवाचार मितानिन ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के माध्यम से राज्य के समस्त मितानिनों की प्रोत्साहन राशि का भुगतान हर माह की 10 तारीख के पूर्व किया जा रहा है। एनआईसी (NIC) के सहयोग से राज्य स्तर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा एक विशेष सॉफ्टवेयर मितानिन ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम तैयार किया गया है। प्रदेश की 68 हजार 940 मितानिनों को सॉफ्टवेयर में पंजीकृत कर उनका समस्त विवरण इन्द्राज किया गया। सभी ज़िलों द्वारा इसका सत्यापन भी किया गया। इन समस्त प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के उपरांत अक्टूबर माह से मितानिनों की प्रोत्साहन राशि का ज़िलेवार भुगतान इसी सॉफ्टवेयर के माध्यम से सभी मितनिनों के खाते में हस्तांतरित किया जा रहा है।
जाँच मितान
विकासखण्ड मुख्यालय से दूर स्थित गाँवों के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा नवाचार के रूप में जाँच मितान की नियुक्ति की गई है। जाँच मितान द्वारा ग्राम स्तर पर ही मरीज़ों के सैंपल एकत्रित कर जाँच हेतु निकटतम जाँच केंद्र तक भेजा जा रहा है। जाँच मितान द्वारा टी.बी.स्पुटम, मलेरिया सैंपल, विडाल एवं सी.बी.सी. जाँच हेतु सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। राज्य में दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड में इस सुविधा की शुरुआत की गई है।
स्मोक फ्री जशपुर नगर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी-2020 में जशपुर जिले को स्मोक-फ्री जिला घोषित किया गया। कोटपा की धारा-4 के तहत जिले को स्मोक-फ्री बनाया गया है। इसे एम्स रायपुर और द यूनियन संस्था के द्वारा स्टडी कर प्रमाणित किया गया। जिले के 29 हजार 400 से अधिक लोगों को इस सर्वे में शामिल कर चर्चा की गई थी।
कॉम्प्रिहेंसिव आई केयर
राष्ट्रीय दृष्टिहीनता और दृष्टिदोष नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ ने सभी तरह के नेत्र रोगियों को पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही सभी पंजीकृत नेत्र रोगियों को हर तरह का उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अतिरिक्त मोतियाबिंद के सभी मरीजों का आपरेशन कराना भी उच्च प्राथमिकता में है। साथ ही राज्य के कार्निया से पीड़ित सभी मरीजों की आँखों को रोशनी देकर राज्य को कार्निया मुक्त बनाने का भी लक्ष्य है। इसके लिए 2013-14 से सभी जिलों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पीएमओए और नेत्र सर्जन की टीमों द्वारा हर साल डोर-टू-डोर भ्रमण किया जाता है। इस दौरान मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, अपवर्तक त्रुटि, रेटिना, कॉर्निया और ऑप्टिक तंत्रिका रोगों की पहचान, पंजीयन और उपचार किया जाता है। जटिल मामलों को जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज या आरआईओ में भेजा जाता है।
एन.एल.इ.पी. लेपट्रैक
एन.एल.इ.पी.लेपट्रैक एक मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन है जिसके माध्यम से कुष्ठ मरीज़ों की निगरानी की जाती है। साथ ही कुष्ठ मरीज़ों के फॉलो-अप का कार्य भी किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य के 5 जिलों में इस मोबाइल बेस्ड एप्लीकेशन के माध्यम से कुष्ठ मरीज़ों की देखभाल की जा रही है।
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