कुम्भ की विशेष मान्यताएं

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कुंभ का अर्थ होता है अमृत का घड़ा। कुंभ 2021 हरिद्वार में होने वाला है जिसके लिए सभी श्रृद्धालुओं को और लोगों को बेसब्री से इंतजार है। कुंभ हिन्दू धर्मी लोगों के लिए किसी मेले से कम नहीं होता इसीलिए बूढ़े व बच्चों को इसका सालों से इंतजार रहता है। 

कुंभ की कथा। 

देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन से अमृत का निर्माण किया। सभी देवता जानते थे कि अगर दानवों ने अमृत पी लिया तो वह अमर हो जाऐंगे और हमेशा स्वर्ग में राज करेंगे। इसीलिए जैसे ही अमृत का निर्माण हुआ देवता अमृत का घड़ा लेकर भाग निकले। सभी दानव, देवताओं के पीछे भागने लगे। जब देवता दानवों से भाग रहे थे तब अमृत की बूंदे धरती पर गिरी। वह स्थान थे - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। यह युद्ध 12 दिनों तक चला। देवताओं के गृह पर 1 दिन 1 साल के बराबर होता है इसलिए देवताओं के 12 दिन हमारे 12 साल के बराबर थे।इसीलिए कुंभ मेला हर बारह साल में एक बार चार स्थानों पर मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष ग्रहों की चाल के साथ ही यह कुम्भ 11 वर्षों बाद आया है।


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