किसानों-कर्मवीरों-वन आश्रितों-स्थानीय कलाओं के लिए खोला सरकारी खजाना

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश के बाहर ‘छत्तीसगढ़ माॅडल’ की खूब चर्चा होती है। जगजाहिर है कि हमें विराट जनादेश तो मिला लेकिन हमारी सरकार को विरासत में खाली-खजाना मिला था। लोगों को न्याय का इंतजार था, इसलिए तात्कालिक राहत के साथ दूरगामी विकास के कदम भी उठाने थे। हमने इस स्थिति का मुकाबला गांधी-नेहरू-शास्त्री-पटेल-आजाद-डाॅ. अम्बेडकर जैसे मनीषियों की वैचारिक विरासत से किया। सादगी, सरलता, जन विश्वास और राज्य के संसाधनों के सम्मान और वेल्यू एडीशन को मूलमंत्र बनाया। किसानों-कर्मवीरों-वन आश्रितों-स्थानीय कलाओं के लिए सरकारी खजाना खोल दिया। कमजोर माली हालत वाले लोगों के लिए राहत का पिटारा खोल दिया। इस तरह गांव से लेकर शहर तक आर्थिक गतिविधियों का थमा हुआ पहिया घूमने लगा। गांवों-घरों में पहुंचे पैसों से बाजारों की रौनक लौटी तो इसकी चमक भी अन्य प्रदेशों ने देखी। इस दौर में हमारी माताओं-बहनों ने जिस तरह धीरज, साहस और रचनाशीलता के साथ गौठानों में, स्व-सहायता समूह में, बिहान समूहों में गोबर की कलाकृतियां, मास्क, सेनेटाइजर तथा अन्य वस्तुएं बनाकर योगदान दिया, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है। कोरोना महामारी और लाॅकडाउन के दौर में भी छत्तीसगढ़ में उत्पादन और विकास का पहिया चलता रहा। *


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