देश भर में बीमा कर्मियों, अधिकारियों ने किया जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

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केन्द्र सरकार द्वारा हाल में पेश किए गए बजट में बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने, बीमा कानून1938 में संशोधन और बीमा क्षेत्र में कुछ सुरक्षात्मक उपायों के साथ विदेशी नियंत्रण की घोषणा के साथ ही एल आई सी के आई पी ओ जारी करने के फैसले से देश के घरेलू बचत पर निजी पूंजी के नियंत्रण को आमंत्रण अंततः देश के आर्थिक स्वतंत्रता को ही ख़त्म कर देगी । इसलिए केंद्र सरकार यह प्रस्ताव वापस ले । आज देश भर में बीमा कर्मचारियों, अधिकारियों के द्वारा किए गए द्वार प्रदर्शन में उन्होंने यह मांग की । फेडरेशन आफ एल आई सी क्लास वन आफीसर्स एसोसियेशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंश्योरेंस फील्ड वर्कर्स आफ इंडिया, आल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलाईज एसोसियेशन, आल इंडिया एल आई सी एम्पलाईज फेडरेशन के आव्हान पर आज पूरे देश मे सभी बीमा कार्यालयों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया । रायपुर में मण्डल कार्यालय पंडरी में कर्मचारी, अधिकारियों की सभा को संबोधित करते हुए सी जेड आई ई ए के महासचिव कामरेड धर्मराज महापात्र, प्रथम श्रेणी अधिकारी संघ के मण्डल अध्यक्ष धनंजय पांडे ने कहा कि सरकार के यह कदम औचित्यहीन है क्योंकि भारत में आज भी निजी बीमा उद्योग में विदेशी पूंजी 49 प्रतिशत की अनुमति के बाद भी कम है । विदेशी पूंजी किसी सूरत में भारत में बीमा उद्योग के वृद्धि के इच्छुक नहीं है उल्टे सरकार के इस कदम से देश के महत्वपूर्ण घरेलू बचत पर ही उनको नियंत्रण में सहयोग करेगा जो देश के हितो के प्रतिकूल है । जबकि हमारे जैसे विकासशील देश के लिए घरेलू बचल पर देश का अधिक नियंत्रण होना चाहिए । देश कें घरेलू बचत पर विदेशी नियंत्रण देश के लिए नुकसानदायक है । नेताओंजंशं ने कहा कि हमारा यह दृढ़ मत है कि साधारण बीमा क्षेत्र की केसी ै भी कंपनी का निजीकरण भी राष्ट्र के लिए नुकानदायक है । भारी प्रतिस्पर्धा के दौर में भी सार्वजानिक क्षेत्र की आम बीमा कंपनियों ने अपना बाजार हिस्सा कायम रखा है यहां तक कि अर्थवयवस्था में गिरावट और संकुचन के वर्तमान दौर में भी सार्वजनिक क्षेत्र की आम बीमा कंपनियों ने प्रभावी वृद्धि दर्ज की है । यदि ये कंपनियां कुछ कठिनाई का सामना कर रही है उसका कारण व्यवसाय में गिरावट नहीं वल्कि इनके भविष्य में विनिवेश के लिए आकर्षक बनाने के लिए प्रावधान करने के लिए उन पर निरंतर सरकार के द्वारा बनाया गया दबाव जिम्मेदार है । सार्वजनिक क्षेत्र की किसी आम बीमा कंपनी के निजीकरण की बजाय उन्हें प्रतिस्पर्धा का सफलता के साथ सामना करने एकीकृत किया जाना चाहिए । एल आई सी के आई पी ओ जारी करने के निर्णय की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत की उस परिकल्पना के बुनियादी आधार के ही खिलाफ है जिस पर सरकार लगातार जोर दे रही है । दुनिया में ऐसी कोई दूसरी संस्था की मिसाल नहीं मिलेगी जो स्वय के लिए मुनाफे जुटाने की बजाय अपने समस्त अतिरेक याने सरप्लस का सरकार व बीमा धारक को वितरित कर देती है । एक ऐसी संस्था जो अपने लिए मुनाफे की बजाय समस्त संसाधनों को देश के विकास के लिए और अपने ग्राहक को बांटकर वास्तव में आपसी लाभ के समाज के रूप में काम कर रही है और भारत सरकार जिसकी ट्रस्टी है । यह इस संस्थान के लिए विशिष्टता की बात है कि संसद के अधिनियम के जरिए 1956 में उसके निर्माण के समय उसके लिए जो सामाजिक लक्ष्य तय किए गए थे उस पर आज भी वह प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है ।सरकार के इस कदम से उसका सामाजिक उद्देश्य खत्म हो जाएगा और उल्टे उसे देश व बीमा धारक के हितों को संरक्षित करने की बजाय शेयर धारक के लिए उसे मुनाफे जुटाने के लिए बाध्य किया जाएगा । नेताओं ने कहा कि एल आई सी में आई पी ओ, आम बीमा कंपनी के विनिवेश और बीमा क्षेत्र में एफ डी आई सीमा वृद्धि के खिलाफ जनता को लामबंद करने आगामी दिनों मे देश भर में अभियान चलाया जाएगा । नेताओं ने इस बात की भी कड़ी आलोचना की कि केंद्र सरकार इससे सम्बन्धित संशोधनों को वित्त विधेयक के साथ पेश कर पारित करने याने सांसद तक में इस पर चर्चा न होने देने की अलोकतांत्रिक कोशिश कर रही है । सभा की अध्यक्षता आर डी आई ई यू के महासचिव कामरेड अलेक्जेंडर तिर्की ने किया । सभा में विकास अधिकारी संघ के वी एस राजकुमार, आर डी आई ई यू के सुरेन्द्र शर्मा, पेंशनर संघ के अतुल देशमुख, निसार अली सहित सैकड़ों साथी शामिल थे । रायपुर , भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, शहडोल, सतना, बिलासपुर मंडलों सहित 140 शाखा इकाई याने 150 से अधिक मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के शहरों में ये प्रदर्शन आयोजित किए गए ।


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