रांची में पत्थलगड़ी आंदोलन की तर्ज पर प्रदर्शन

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सोमवार को झारखंड के रांची में हाईकोर्ट भवन के सामने पत्थलगड़ी आंदोलन की तर्ज पर प्रदर्शन किया गया। लगभग सौ लोग एक शिलापट्ट लेकर वहां पहुंचे और मुख्य द्वार के सामने उसे लगाने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। आंदोलन में शामिल नेशनल कुडुख काउंसिल के संयोजक धनेश्वर टोप्पो ने कहा, राज्य के दस जिले रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, दुमका, पाकुड़ और जामताड़ा पांचवी अनुसूची के तहत आते हैं. यहां आदिवासियों का पारंपरिक स्वसाशन व्यवस्था लागू होना चाहिए, न की सरकारी शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा, हम ये मांग संविधान के तहत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि खूंटी में तीन साल पहले हुए पत्थलगड़ी आंदोलन से उन्हें सीख मिली है. इसलिए वो अपने लोगों को गांव-गांव जाकर कानून की जानकारी दे रहे हैं। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लुत्थर टोपनो ने बताया कि ‘’राज्यपाल ने उन्हें मंगलवार को 11 बजे मिलने का समय दिया है. अगर वहां से कोई समाधान नहीं मिलता है तो आगे आंदोलन और तेज़ करेंगे.’’ उन्होंने इस आरोप को खारिज कर दिया कि उन्हें इसके लिए चर्च का समर्थन मिल रहा है. आंदोलन करनेवालों आदिवासियों में संताल, हो, मुंडा, उरांव और खड़िया अदिवासी समुदाय के लोग शामिल थे.


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