बस कंपनी स्कैनिया रिश्वत मामले में कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग

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स्वीडन की बस कंपनी स्कैनिया के भारत में बस सौदे के लिए कथित रिश्वत मामले में कांग्रेस ने न्यायिक जांच की मांग की है। कांग्रेस ने संबंधित मंत्रालय के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय पर भी लगाया है।

पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी इस पर चुप्पी नहीं रख सकते हैं। पार्टी का कहना है कि न खाऊंगा न खाने दूंगा की बात करने वाली मोदी सरकार की पोल खुल गई है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कुछ तस्वीरें जारी करते हुए कहा कि सरकार के तमाम मंत्री उस कंपनी स्कैनिया के सीईओ के साथ दिख रहे हैं। इसमें प्रधानमंत्री गले लग रहे हैं। हाथ मिला रहे हैं। इसमें राजस्थान की पूर्व सीएम, नितिन गडकरी आदि दिख रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि ये एक गंभीर मामला है क्योंकि रिश्वत दी गई है ये खुद कंपनी ने स्वीकार किया है।

बता दें कि स्वीडन की नामी बस-ट्रक निर्माता कंपनी स्कैनिया ने भारत में सात राज्यों में ठेके हासिल करने के लिए 2013 से 2016 के बीच अधिकारियों को भारी रिश्वत दी थी। स्वीडिश न्यूज चैनल एसवीटी समेत तीन मीडिया संस्थानों ने एक खुफिया जांच के बाद यह दावा किया है। फॉक्सवेगन एजीज की ट्रक एवं बस का निर्माण करने वाली इकाई स्कैनिया ने 2007 में भारत में काम करना शुरू किया था और 2011 में विनिर्माण इकाई की स्थापना हुई।

स्कैनिया से जब इस मुद्दे पर जवाब मांगा गया तो कंपनी के प्रवक्ता ने कहा,2017 में कंपनी को कर्मचारियों और शीर्ष प्रबंधन के कामकाज में गंभीर गड़बड़ियां दिखीं, जिसकी जांच कराने पर पता चला कि ये लोग रिश्वतखोरी में लिप्त थे। इसमें कुछ कारोबारी साझेदार भी शामिल थे। 

प्रवक्ता ने बताया कि इसके बाद स्कैनिया ने भारतीय बाजार में बसों की बिक्री पर ही रोक लगा दी थी। स्कैनिया के सीईओ हेनरिक हेनरिक्सन ने कहा। इससे कुछ नुकसान जरूर हुआ लेकिन हमने वहां अपनी इकाई को बंद कर दिया। उन्होंने कहा, भारत में जो भी लोग रिश्वतखोरी में शामिल थे उन्हें कंपनी से निकाल दिया गया और हमारे बिजनेस पाटर्नर्स के करार भी रद्द कर दिए ।


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