पश्चिम बंगाल चुनाव: किसान नेताओं के प्रचार से बीजेपी पर कितना असर?

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पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में या यूं कहें कि देश के किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव में ऐसा संभवत: पहली बार हुआ कि पगड़ी बांधे सिख और हरी टोपी पहने किसान नेता प्रचार के दौरान मंच से लोगों को ठोस निर्णय लेने के बारे में सलाह दे रहे हों।

पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में ये पहली बार था जब सभाओं में "जय जवान,जय किसान" और "किसान एकता ज़िंदाबाद" के नारे गूँज रहे थे।

ये आवाज़ें किसानों के मंचों से गूँज रही थीं जो दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से पश्चिम बंगाल में किसान आंदोलन का केंद्र रहे नंदीग्राम और सिंगुर पहुंचे थे।

नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार के विरोध स्वरूप सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के अलावा किसी भी दल को वोट दें।वो बार-बार कहते सुने गए कि किसी को भी वोट दे दें लेकिन बीजेपी को नहीं।


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