क्या वामपंथी दल पश्चिम बंगाल चुनाव से लापता हैं?

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सीपीएम की वरिष्ठ नेता बृंदा करात कहती हैं कि वाम दल लापता नहीं हैं। वो कहती हैं, ज़मीन पर हम हैं, लेकिन हो सकता है मीडिया में हम नहीं हैं। यह एक परसेप्शन बनाने का प्रयास हो रहा है कि यह बीजेपी और टीएमसी के बीच संघर्ष है, जबकि हक़ीक़त यह है कि यह त्रिकोणीय मुक़ाबला हो चुका है।

करात कहती हैं कि बीजेपी और टीएमसी के बीच मुद्दों पर आधारित बात नहीं हो रही।उन्होंने कहा, हो यह रहा है कि कौन सबसे बढ़िया मीम बना सकता है या गाली दे सकता है। लेफ़्ट के जो मुद्दे हैं, बंगाल के चुनाव में जनवाद की रक्षा, धर्म निरपेक्षता की रक्षा,जनता के हितों की रक्षा, बेरोज़गारी का सवाल, औद्योगीकरण का सवाल, किसानों के सवाल, उस पर हमीं लोग बात कर रहे हैं। हम ताक़तवर तरीक़े से लड़ रहे हैं।

तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सांसद सौगत राय कहते हैं, वामपंथ अब अप्रासंगिक हो चुका है। अब उनकी कोई अहमियत नहीं बची है। राय का मानना है कि लेफ़्ट और कांग्रेस तीसरे और चौथे स्थान के लिए लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि तृणमूल का सीधा मुक़ाबला बीजेपी से ही है।

कांग्रेस के पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद पी भट्टाचार्य यह मानते हैं कि कांग्रेस की सीटें लगभग पिछली बार जितनी ही आएँगी, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि लेफ़्ट का प्रदर्शन इन चुनावों में पिछली बार की तुलना में बेहतर रहेगा।


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