कूच बिहार: वो कौन से फ़ैक्टर हैं जिनके आधार पर बीजेपी का पलड़ा पड़ सकता है भारी?

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कूच बिहार को लेकर चर्चा तो उसी समय शुरू हो गई थी जब गृहमंत्री अमित शाह ने यहां परिवर्तन रैली की थी। लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तारीख़ क़रीब आती जा रही है हर रोज़ कुछ न कुछ ऐसा दिख रहा है जिससे ये चर्चा और पुख़्ता होती जा रही है।

बुधवार शाम को हमारे होटल के नीचे वह गाड़ी आकर खड़ी हुई जिसकी बायीं ओर का शीशा टूटा हुआ था। पूछने पर पता चला कि यह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष की गाड़ी है। और उन पर हमला हुआ है।कुछ ही देर में होटल में स्थानीय नेताओं का जमघट था। जिस फ़्लोर पर दिलीप घोष रुके वहां काफ़ी सुरक्षाकर्मी तैनात थे। 

कूच बिहार में 10 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं। लेकिन एक अप्रैल से ही यहां के लगभग हर होटल के सभी कमरे बुक हैं। मतदान होने तक यहां किसी भी होटल का कोई कमरा ख़ाली नहीं है। किसी होटल में बीजेपी के कार्यकर्ता और नेता ठहरे हुए हैं तो किसी में टीएमसी के,तो किसी में चुनाव आयोग के कर्मचारी हैं। इसके अलावा मीडिया का भी जमावड़ा यहां है। 

नौ विधानसभा सीटों वाले कूच बिहार ज़िले के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि मतदान के चार दिन पहले प्रधानमंत्री ने यहां का दौरा किया। उसी दिन ममता बनर्जी भी ज़िले में मौजूद रहीं।उन्होंने तो रात इसी ज़िले में बिताकर अगले दिन भी कई जनसभाएं कीं।


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