चलिए,कोई मित्र को याद करते है

लेखक: संजय दुबे

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एक गाना याद आता है,ये है रेशमी जुल्फों का अंधेरा न घबराइए, चले आइए।
आज का वक़्त ऐसा ही है कि हम सभी जिंदगी के  रंगमंच में चल रहे मौत के तमाशे को देख रहे है।इस तमाशे में हमारे ही अपने पराए मौत के शिकार होते दिख रहे है। इस तमाशे में सबसे बड़ी सच्चाई ये भी है कि दर्शक भी  खुद रंगमंच का हिस्सा बन जाता है और आत्मसात होकर स्वयं भी अपने साँसों के तारतम्यता को खोता है,घुटन महसूस करता है, अस्पताल पहुँचता है,ऑक्सीजन लगाता है, वेंटिलेटर पर जाता है,रेमडिसिवर लगवाता है और अंत मे वह भी  एक पात्र बन जाता है।कितना जीवंत है ये तमाशा! अगले दिन समाचार पत्रों के परलोक गमन के हिस्से में हिस्सेदार हो जाता है। रिश्तों का बखान होता है।बताया जाता है कि पिता,भाई, चाचा या माँ, बहन,पत्नी,बहन बेटी थी।अब तक एक भी  परलोकगमनवासी के मित्रों का उल्लेख नहीं देखा! क्या दुनियां इतनी सिमट गई है कि  मित्रता खत्म हो गयी है?
 नहीं, कहते है कि अच्छे  रिश्तो के नाम नहीं होते है। मित्र भी ऐसे ही रिश्ते है,जो उस व्यक्ति के साथ ही नही जाते है जो परलोक चला गया है बल्कि उसके जाने के बाद भी किसी परिवार के लिए अनमोल धरोहर होते है,रिश्तों से ऊपर ,स्वार्थ के पराकाष्ठा से दूर,बस जिम्मेदार होते है।
आज जो जीवित है वे भी कल काल के गाल में समायेंगे लेकिन खुदगर्जियोकी दुनियां में अपने मित्रों को याद करिये,उनसे बात करिये, दूर है भले आपसे स्थान के नाम से मगर दिल मे तो है। इतने संकीर्ण न हो  जाइये कि अपने मन की बात भी कहने वाले को एक फोन न कर सके।
 स्कूल ,कालेज,दुकान, कार्यालय या किसी भी कारण से कोई तो होगा जो आपके मित्रता का पैमाने में होगा । अक्सर हम अपने को ही सामने वाले पुरुष या स्त्री में खोजते है,मन मिलता है तो मित्र बनते है। याद रखे पुरुष और पुरुष औऱ स्त्री की स्त्री की मित्रता से कही अनमोल मित्रता पुरुष और स्त्री के बीच होता है। ये मित्रता पति पत्नी, पिता बेटी, या अन्य रिश्तों में भी प्रगाढ़ होती है लेकिन जिस कृष्ण के पास राधा है या जिस राधा के पास कृष्ण है, वह रिश्ता इस दुनियां का सबसे अनमोल धरोहर है। क्योंकि पुरुष सत्तात्मक समाज मे पुरुष के अलावा स्त्री भी संकुचित मानसिकता के चलते ऐसे कृष्ण राधा की मित्रता में देह का  आकर्षण  खोज ही लेते है ।ऐसी राधा,को समाज जितने भी कलुषित रिश्ते होते है, नाम होते है ,से विभूषित करने में देर नही लगाते बावजूद इसके इसी समाज मे  अमृता प्रीतम औऱ साहिर भी होते है। सो, आज अपने मित्रों को एक काल करने की बनती है।
अगर कोई ये बताए कि आज उसने अपने बरसो पहले के किसी मित्र से बात की तो मेरे लेख का पारिश्रमिक मुझे मिला  मानूंगा।


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