उत्तराखंड: बद्रीनाथ मंदिर के द्वार आज सुबह 4:15 बजे खोल जायेंगे, कपाट खुलने की इस प्रक्रिया में कुछ रोचक तथ्य

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उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के बाद अब मंगलवार को अगले 6 माह के लिए ब्रह्म मुहूर्त पर भगवान बद्री विशाल के कपाट खुल जाएंगे। आइए आपको बताते हैं कपाट खुलने की इस प्रक्रिया में कुछ रोचक तथ्य भी हैं।

मंगलवार को प्रातः 4:15 पर ब्रह्म बेला में भगवान बद्री विशाल के कपाट खोले जाने निश्चित है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि पौराणिक मान्यताओं व पारंपरिक रीति रिवाज के चलते आखिर कौन खोलता है भगवान बद्री विशाल के द्वार पर लगे हुए ताले … किसके पास रहती है तालों को खोलने की चाबियां…

यह सवाल आपके मन में जरूर उत्पन्न हो रहा होगा तो आइए आपको बताते हैंः-

पौराणिक मान्यता व पारंपरिक रीति रिवाज के तहत कपाट खुलने से पूर्व बद्रीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के आगे सभा मंडप के मुख्य द्वार पर परिसर में विधिवत तौर पर भगवान श्री गणेश वह भगवान श्री बद्री विशाल का आह्वान करते हुए धर्माधिकारी व वेदपाटियों द्वारा पूजा आरंभ कर दी जाती है। जिन चाबियों से द्वार के ताले खोले जाते हैं, पहले उन चाबियों की पूजा-अर्चना की जाती है। पहला ताला टेहरी महाराजा के प्रतिनिधि के रूप में राजगुरु नौटियाल के द्वारा खोला जाता है उसके बाद मंदिर के हक हकूकधारी मेहता थोक व भंडारी थोक के प्रतिनिधियों द्वारा ताले खोले जाते हैं। जबकि इससे पूर्व पूजा अर्चना के समय बद्रीनाथ के मंदिर के मुख्य पुजारी रावल द्वारा आचार्य स्वरूप दक्षिणा डिमरी पुजारियों में से भितला बड़वा को दी जाने की परंपरा है।

कपाट खुलने से पूर्व जिन चाबियों की पूजा होती है। उनमें से गर्भ गृह के द्वार पर लगे ताले की चाबी मंदिर प्रबंधन द्वारा डिमरी पुजारी भितला बड़वा को सौंपी जाती है और गर्भ गृह का ताला भितला बड़वा के द्वारा खोला जाता है। इस तरह गर्भगृह द्वार खुलते ही विधिवत तौर पर भगवान के कपाट 6 माह के यात्रा काल के लिए खुल जाते हैं और कपाट खुलते ही सभी लोगों को भगवान बद्री विशाल की अखंड ज्योति के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त होता है। गर्भ गृह में केवल मंदिर के मुख्य पुजारी रावल के साथ डिमरी पुजारी को ही प्रवेश का अधिकार होता है।

बता दें कि मंगलवार को विधि-विधान से भगवान बद्री विशाल के कपाट खुल जाएंगे, हालांकि कोविड महामारी के चलते अभी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन उपलब्ध नहीं हो पाएगा लेकिन श्रद्धालु ऑनलाइन बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन कर पाएंगे।


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