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बंदियों को पुनः 90 दिन के लिए पैरौल में छोड़ा गया
कवर्धा : जिला न्यायाधीश, अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती नीता यादव एवं नरेन्द्र कुमार, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार उच्चतम न्यायालय के निर्णय ’’अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) 8 एस.सी.सी. 273’’ में जारी दिशा निर्देश एवं उच्चतम न्यायालय के याचिका क्रमांक 01/2020 इन-रीः कंटेगन ऑफ कोविड-19, कोरोना वायरस इन प्रिजनर्स में पारित आदेश दिनांक 23 मार्च 2020 के अनुसार जो बंदी पूर्व में पेरोल, अन्तरिम जमानत प्राप्त कर चुके है उन्हें पुनः रिहा किए जाने की तारीख से 90 दिन के लिए पैरौल प्रदान किया गया है। जिसके अनुसार विचाराधीन बंदी जो सिविल कारावास भुगत रहे है, ऐसे बंदी जो ऐसे अपराध के लिए विचारण का सामना कर रहे है, जो सात वर्ष या उससे कम अवधि के कारावास से दण्डनीय है जहां से 15 दिन या उससे अधिक अवधि से अभिरक्षा में है। विचाराधीन बंदी जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के है जो 3 माह या उससे अधिक अवधि से अभिरक्षा में होकर ऐसे अपराध के लिए विचारण का सामना कर रहे है, जो 10 वर्ष तक की अवधि के कारावास से दण्डनीय है। इस प्रकार न्यायालय द्वारा कुल 35 बंदियों को अन्तरिम जमानत पर रिहा किया गया है, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कबीरधाम द्वारा हाई पॉवर कमेटी द्वारा जारी दिशा-निर्देश अनुरूप बंदियों को पैरोल, अन्तरिम जमानत पर छोड़े जाने के लिए जमानत आवेदन प्रस्तुत किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रभारी सचिव नरेन्द्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए चिन्हांकित बंदियों को छोड़े जाने के लिए आवेदन पत्र न्यायालयों में प्रस्तुत किया गया।
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