सरगुजा और बस्तर संभाग में मलेरिया के मामले हुए आधे के करीब, जानें सभी जिलों का हाल

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 रायपुर.राज्य शासन के मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का असर दिखने लगा है। मलेरिया नियंत्रण के लिए बस्तर और सरगुजा संभागों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा चलाए गए विशेष अभियानों से वहां मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है। सरगुजा संभाग में अप्रैल-2020 की तुलना में अप्रैल-2021 में मलेरिया के मामलों में 60 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं बस्तर संभाग में भी पिछले अप्रैल की तुलना में इस अप्रैल में मलेरिया के मामले 45 प्रतिशत घटे हैं। पिछले अप्रैल में बस्तर संभाग के सातों जिलों में जहां मलेरिया के कुल 2854 प्रकरण मिले थे, वहीं इस साल अप्रैल में कुल 1564 मामले ही सामने आए हैं। सरगुजा संभाग के पांच जिलों में पिछले अप्रैल के 137 मामलों की तुलना में इस अप्रैल में केवल 55 मामले दर्ज किए गए हैं। 

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के असर से पिछले अप्रैल की तुलना में इस अप्रैल में मलेरिया के मामलों में कांकेर जिले में 79 प्रतिशत, कोंडागांव में 73 प्रतिशत, बस्तर और नारायणपुर में 50-50 प्रतिशत, दंतेवाड़ा में 32 प्रतिशत, बीजापुर में 20 प्रतिशत और सुकमा में दस प्रतिशत की कमी आई है। कांकेर जिले में पिछले अप्रैल में जहां मलेरिया के 305 प्रकरण थे, वहीं इस साल केवल 63 मामले सामने आए हैं। कोंडागांव में पिछले वर्ष के 401 मामलों की तुलना में इस साल 107, बस्तर में 589 की तुलना में 295, नारायणपुर में 357 की तुलना में 180, दंतेवाड़ा में 517 की तुलना में 351, बीजापुर में 487 की तुलना में 390 तथा सुकमा में पिछले वर्ष के 198 मामलों की तुलना में इस वर्ष 178 मामले मलेरिया के दर्ज किए गए हैं। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर पूरे बस्तर संभाग में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान को जन अभियान के रूप में विस्तारित किया गया था। अभियान के पहले चरण के दौरान दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सार्वजनिक सभा में बस्तर को मलेरिया मुक्त करने लोगों को शपथ दिलाई थी। स्वास्थ्य मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की सफलता को देखते हुए यह अभियान सरगुजा में भी प्रारम्भ किया गया। सरगुजा संभाग में इस अभियान के प्रभाव से मलेरिया के मामले तेजी से घटे हैं। सरगुजा जिले में जहां पिछले वर्ष अप्रैल में मलेरिया के 11 प्रकरण दर्ज किए गए थे, वहां इस वर्ष अप्रैल में एक भी प्रकरण नहीं आया है। बलरामपुर-रामानुजगंज में पिछले वर्ष के 25 मामलों की तुलना में इस साल पांच, जशपुर में 78 की तुलना में 25 और सूरजपुर में पिछले वर्ष के छह मामलों की तुलना में इस वर्ष केवल तीन मामले मलेरिया के दर्ज किए गए हैं।

राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा पिछले साल बस्तर संभाग के सातों जिलों में तीन चरणों में “मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान” तथा सरगुजा संभाग के जिलों में “मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़” अभियान का पहला चरण संचालित किया गया था। इन अभियानों में मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा घने जंगलों और पहाड़ों से घिरे बस्तर के पहुंचविहीन, दुर्गम एवं दूरस्थ इलाकों में घर-घर पहुंचकर सभी लोगों की आरडी किट से मलेरिया की जांच की गई। पॉजिटिव पाए गए लोगों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध खाद्य पदार्थ खिलाकर तत्काल मलेरिया के इलाज के लिए दवाई का सेवन चालू किया गया। मितानिनों की निगरानी में उन्हें दवाईयों की पूरी खुराक खिलाई गई।

बस्तर संभाग में तीन चरणों की स्क्रीनिंग में पाए गए मलेरिया के मरीजों में 57 प्रतिशत से 60 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिनमें इसके कोई लक्षण नहीं थे। नियमित सर्विलेंस के दौरान मलेरिया के ऐसे मामले पकड़ में नहीं आते हैं। बिना लक्षण वाले मरीज रिजर्वायर के रूप में समुदाय में रहते हैं और इनके द्वारा मलेरिया का संक्रमण होते रहता है। अभियान के दौरान मलेरिया के दोनों तरह के मरीजों, लक्षण वालों और बिना लक्षण वालों का पूर्ण उपचार किया गया। मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के दूसरे एवं तीसरे चरण में स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा मलेरिया के साथ-साथ कोविड-19 के लक्षणों वाले व्यक्तियों की भी स्क्रीनिंग की गई। अभियान के दौरान एक (1) से अधिक वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों के सभी गांवों में करीब 34 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानियों का वितरण किया गया। दो से अधिक एपीआई वाले क्षेत्रों में प्रति वर्ष दो चरणों में कीटनाशक का छिडकाव किया जा रहा है। साथ ही जागरूकता, प्रचार-प्रसार, प्रशिक्षण इत्यादि गतिविधियां चलाई जा रही है।


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