सऊदी अरब के रुख़ में बदलाव'

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सऊदी अरब कई सालों से यमन के युद्ध में उलझा हुआ है.।लगातार वहां से उसकी तेल रिफ़ाइनयरियों और दूसरी जगहों पर ड्रोन और मिसाइल हमले होते रहे हैं जिनके लिए वह ईरान को ज़िम्मेदार बताता है। दरअसल, ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है जिन्हें सऊदी पिछले छह साल से नहीं हरा पा रहा।  अनौपचारिक सऊदी-ईरान संवाद में शामिल रहे गल्फ़ रिसर्च सेंटर के अब्दुल अज़ीज़ सागेर ने इस हफ़्ते कहा, “खाड़ी के देशों का कहना है कि अमेरिका इस समझौते में शामिल होता है तो यह उसका फ़ैसला है, हम उसे नहीं बदल सकते. लेकिन हम चाहते हैं कि सभी क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर भी विचार करें. खाड़ी देशों का मानना है कि जितनी तवज्जो उन्हें ट्रंप के समय मिलती है, उतनी बाइडन के दौर में नहीं मिल रही. उन्होंने भी विएना में हो रही चर्चा में शामिल होने की कोशिश की थी मगर विफल रहे थे. विएना में चल रहे विमर्श का नतीजा निकलने का इंतज़ार करने की बजाय, सऊदी अरब ने भी एक पहल की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दो सूत्रों के हवाले से लिखा है सऊदी अरब ने अप्रैल में ईरान की ओर से दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वार्ता करने के प्रस्ताव को स्वीकार किया है.


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