कांग्रेस में कलह : कई राज्यों की इकाइयों में गुटबाजी नजर आ रही है

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बुधवार को भाजपा पर भरोसा जताया। ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने सपा नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। सपा के साथ उनकी बात नहीं बनी तो उन्होंने भाजपा का दामन थामकर अपनी राजनीतिक पारी को बढ़ाने का फैसला लिया।

यहां आपको बता दें कि कांग्रेस की पंजाब और राजस्थान इकाइयों में कलह के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना मुख्य विपक्षी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका है क्योंकि कुछ महीने बाद ही यहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि प्रसाद का जाना झटका नहीं है, बल्कि यह अवसरवादी राजनीति' है जिसे जनता बखूबी समझती है।

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रहे प्रसाद को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के एक युवा ब्राह्मण नेता के तौर पर लोग देख रहे थे। प्रसाद के कांग्रेस छोड देने से एक बार फिर से कांग्रेस में कई युवा नेताओं की नाराजगी और पाला बदलने की अटकलों को हवा मिल गई है। सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा ऐसे नेताओं में शामिल हैं जिनकी नाराजगी की चर्चा इन दिनों जोरों पर है।

कांग्रेस में कलह : गौर हो कि जितिन प्रसाद ने ऐसे समय कांग्रेस छोड़ी है जब पार्टी की पंजाब एवं राजस्थान इकाइयों में कलह है और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों की इकाइयों में गुटबाजी नजर आ रही है. उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च, 2022 में विधानसभा चुनाव होना है और इसमें कांग्रेस प्रियंका गांधी के चेहरे के साथ अपने पुराने वोटबैंक- ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित वर्ग में फिर से पैठ बनाने का प्रयास कर रही है।


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