कहाँ मिलेंगे बिस्मिल!
लेखक - संजय दुबे
देश की आजादी के लिए अपनी जान लुटा देने वाले अमर शहीद भगतसिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, असफाकउल्लाह, राजगुरु सहित न जाने कितने युवक थे जिनके नामो को अंग्रेजो ने तो अपने कमीनेपन के कारण आतंकवादी नाम देकर यथा नाम तथा गुण का परिचय दिया था अंग्रेजो के जाने के बाद इन महान हस्तियों को भुला देने की भी साज़िश हुई। नरमपंथी हमेशा लल्लोचप्पो के बदौलत ही गुलामी के कपड़े को बदल कर पहनते रहे है इसी के कारण इस देश की न तो राजभाषा जन्म ले सकी न ही धर्म। यहां तो राम भी पार्टीबन्दी के शिकार हो गए तो रामप्रसाद बिस्मिल कैसे बच पाते। उनका नाम भी देश की आज़ादी में बराबर की सहभागिता के कारण जाना जाता है। जितना गांधी का योगदान रहा उससे ज्यादा देश के शहीदों का है जिन्होंने पैदल चलने के बजाय देश के संसद भवन में बहरो की सरकार के कान में बात डालने के लिए बम फोड़ दिया।
ऐसे ही एक मतवाले रामप्रसाद बिस्मिल थे। आपादमस्तक डेश की आज़ादी का जुनून लेकर चलने वाले। बताया जाता है उनके दसो उंगलियों में चक्र थे जिसके कारण ये कहा गया था कि वे अगर वे ज्यादा जी गए तो चक्रवर्ती बनेंगे। 30 साल की उम्र में तो दुनियां के अधिकांश युवक युवतियों के फंतासी दुनिया मे खोए रहते है। दोस्ती यारी में वक़्त जाया करने की उम्र में रामप्रसाद बिस्मिल दुनियां छोड़ गए थे केवल डेश की आज़ादी के नाम पर। चोराचौरी घटना के बाद गांधी ने आंदोलन को अचानक ही बन्द कर दिया तो गरमपंथी नाराज़ हो गए क्योकि अंग्रेज इतना डर गए थे कि अगर आंदोलन चलते रहता तो चलते बनते औऱ देश 35 साल पहले आज़ाद हो जाता। आंदोलन बन्द होने का दुख रामप्रसाद बिस्मिल को भी था।वे आज़ाद, भगतसिंह राजगुरु असफाकउल्लाह के संगी बन गए। वैसे भी अंग्रेज, मुगलों के सामान ही लुटेरे थे सो राम प्रसाद बिस्मिल ने लुटेरों को ही लूट कर साधन जुटाने की कोशिश की। कहा जाता है लोहा लोहे को काटता है बिस्मिल ने भी सामयिक रूप से यही किया।
रामप्रसाद बिस्मिल केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नही थे बल्कि होनहार लेखक भी थे।उनके पास बातों का तेज था। जब वे अपना पक्ष रखते तो अच्छे अच्छे वकील टिक नही पाते थे। काकोरी केस में ब्रिटिश जज ने पूछा था कि आप किस यूनिवर्सिटी से विधि की परीक्षा उतीर्ण की है? जवाब में बिस्मिल ने कहा था राजा किसी विश्वविद्यालय में नही पढ़ता है। बिस्मिल, एक ग़ज़ल अक्सर गाते थे
"सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है
,देखना है जोर कितना बाजू ए कातिल में है
वक़्त आने पे बता दे ए आसमा
क्या बताए है कि क्या अब हमारे दिल में है
आज इस अमरशहीद बिस्मिल का जन्मदिन है। इन जैसे लोगो के जिस्म खत्म होते है पर ये नही मरते है
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS