वायरल वीडियो मामले में पत्रकार राना अय्यूब को गिरफ्तारी से चार हफ्तों की राहत

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उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में एक बुजुर्ग की पिटाई से जुड़े वायरल वीडियो मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को पत्रकार राना अय्यूब को चार हफ्तों की ट्रांजिट एंटीसिपेटरी बेल दी है। 

उत्तराखंड प्रदेश पुलिस ने राना अय्यूब पर ये आरोप लगाया है कि उन्होंने कथित रूप से एक वीडियो सर्कुलेट किया जिसमें एक बुजुर्ग मुस्लिम ये दावा कर रहे थे कि उन्हें पीटा गया और 'जय श्री राम' के नारे लगाने के लिएमजबूर किया गया।

पुलिस ने अपनी एफआईआर में लिखा है कि ये वीडियो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से सर्कुलेट किया गया। इस सिलसिले में ग़ाज़ियाबाद के लोनी पुलिस स्टेशन में 15 जून को आईपीसी के सेक्शन 153, 153ए, 295ए और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था। 

राना अय्यूब के वकील मिहिर देसाई ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस पीडी नाइक की बेंच को बताया कि याचिकाकर्ता एक पत्रकार हैं और उन्होंने केवल अपने ट्विटर हैंडल पर इस वीडियो फॉरवर्ड किया था।

 मिहिर देसाई ने बताया, 16 जून को जब उन्हें पता चला कि वीडियो का कॉन्टेंट सही नहीं है तो उन्होंने उसी वक्त इसे डिलीट कर दिया। 

उन्होंने कहा कि राना अयूब पर जिन अपराधों के आरोप लगाए गए हैं। उनमें केवल तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसलिए राना अय्यूब को उत्तर प्रदेशां की सक्षम अदालत तक पहुंचने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए। 

जस्टिस पीडी नाइक ने कहा कि मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राना अय्यूब को गिरफ्तारी से अस्थाई रूप से चार हफ्तों का संरक्षण दिया जाता है ताकि जहां एफआईआर दर्ज कराई गई है,राना अय्यूब वहां की अदालत से संपर्क कर सकें।

कोर्ट ने ये भी साफ़ किया कि राना अय्यूब को दी गई ये मोहलत बढ़ाई नहीं जाएगी।


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