एफडी घोटाला में नया खुलासा, 10 करोड़ के गोलमाल में इस्तेमाल खाता नंबर बंगाल का निकला

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रविवि स्थित डाकघर में 10 करोड़ के एफडी घोटाला में नया खुलासा यह हुआ है कि एजेंट भूपेंद्र पांडेय ने लोगों को दी गई डाकघर की फर्जी पासबुक में जो खाता नंबर दिया था,वह पं बंगाल का निकला और चालू भी है। लेकिन लोगों से पैसे लेने के बाद भूपेंद्र इस खाते के बजाय अपने खाते में रकम जमा कर रहा था। उस खाते में यहां से कभी पैसे जमा नहीं किए गए। डाक विभाग ने ही पुलिस को यह जानकारी दी है।

प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े इस डाक विभाग घोटाले में आधा दर्जन लोगों ने ठगी की शिकायत कर दी है। और भी पीड़ित दस्तावेज लेकर आ रहे हैं। इसलिए पुलिस ने इस मामले में चारसौबीसी का केस दर्ज करने की तैयारी तक शुरू कर दी है। मृत्यु होने के बावजूद एजेंट भूपेंद्र पांडेय को इस केस में आरोपी बनाया जाएगा। पता चला है कि इस मामले में सहआरोपी के तौर पर भूपेंद्र की पत्नी आकांक्षा तथा डाक विभाग के कुछ कर्मचारियों पर भी केस लगाया जाएगा। 

टीआई गौतम गावड़े ने बताया कि अप्रैल में एक व्यक्ति ने शिकायत की थी, दो दिन में पांच और शिकायतकर्ता सामने आ गए हैं। इनकी पासबुक में जो खाता नंबर दर्ज था,डाक विभाग से उसकी जानकारी मांगी गई। डाक विभाग ने फिलहाल एक व्यक्ति की पासबुक में दर्ज खाते की जानकारी दी है।वह खाता रविवि डाकघर नहीं बल्कि प. बंगाल के डाकघर का है। डाक विभाग ने यह भी लिखकर दिया है कि मृतक भूपेंद्र पांडेय और उसकी पत्नी आकांक्षा उनके अधिकृत एजेंट थे। उनके खाते के संबंध में जानकारी भी दी गई है। 

प्रॉपर्टी का ब्योरा निकाल रहे - पुलिस ने बताया कि मृतक भूपेंद्र और पत्नी आकांक्षा की प्रापर्टी का ब्योरा निकाल रहे हैं। इसे कुर्क किया जाएगा, ताकि लोगों के पैसे लौटाए जा सकें। कुछ पीडितों ने बिलासपुर में चार मैरिज पैलेस की जानकारी दी है। उसकी जांच भी कर रहे हैं। इसके अलावा डाकघर के कर्मचारी-अधिकारी की भूमिका जांची जा रही है।पीड़ितों को आशंका है कि इसमें कुछ डाक कर्मचारियों की लिप्तता हो सकती है। 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अब तक जिन लोगों ने शिकायत की है, अगर एजेंट की प्रापर्टी मिलती है तो उसे न्यायालयीन प्रक्रिया के बाद कुर्क कर मिली रकम भी उन्हीं को लौटाई जाएगी। इसके अलावा जिनके साथ ठगी हुई और शिकायत नहीं कर रहे हैं, उन्हें कानूनन पुलिस किसी तरह की मदद नहीं कर पाएगी। इसलिए इस मामले में जो भी पीड़ित हैं, उन्हें शिकायत करनी चाहिए। 

इस तरह ठगे गए लोग 

पुलिस के अनुसार मृत डाकघर एजेंट भूपेंद्र ने राजधानी के 50 से ज्यादा लोगों के फिक्स डिपाजिट अकाउंट खुलवाए थे और उनमें 2002 से रकम जमा करने के नाम पर इन लोगों से पैसे लिए जा रहे थे। इन अकाउंट्स में 2015 तक पैसे जमा भी हुए। इसके बाद 2015 में पॉलिसी अपडेट करने के नाम पर भूपेंद्र ने सभी को डाकघर की फर्जी पासबुक और नया खाता नंबर दे दिया। भरोसे में लोग उसे ही पैसे देते रहे, जिसे वह अपने खाते में जमा करता रहा।

मृत्यु के बाद लोग डाकघर पहुंचे, तब पता चला कि उनका अकाउंट ही नहीं है और पासबुक भी फर्जी थी।इसलिए सभी की रकम डूब गई है और यह 10 करोड़ रुपए के आसपास बताई गई है।


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