सुप्रीम कोर्ट ने 97वें संविधान संशोधन के कुछ प्रावधान रद्द किए

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए को-ऑपरेटिव सोसाइटी के प्रभावी प्रबंधन से जुड़े 97वे संवैधानिक संशोधन के कुछ प्रावधानों को रद्द करते हुए इस संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखा है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस संशोधन के उस हिस्से को बरकरार रखा है जिसका संबंध कई प्रदेशों में सक्रिय सहकारी समितियों के गठन एवं संचालन से था। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ़ नरीमन, केएमजोसेफ़, और बीआर गवई की पीठ ने कहा, “हमने सहकारी समितियों से संबंधित संविधान के भाग नौ बी को रद्द कर दिया है। लेकिन संशोधन को बचा लिया है।

जस्टिस नरीमन ने कहा, जस्टिस जोसेफ़ ने आंशिक असहमति वाला फैसला दिया है और 97वे संवैधानिक संशोधन को रद्द कर दिया है।

साल 2011 में संसद ने को-ऑपरेटिव समितियों के प्रभावी प्रबंधन के जुड़ा 97वां संविधान संशोधन पारित किया था जो कि 15 फरवरी 2012 को लागू हुआ था। 

लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने संसद द्वारा इस संशोधन को रद्द करते हुए कहा था कि को- ऑपरेटिव सोसाइटी राज्य का विषय है, ऐसे में संसद इस पर क़ानून नहीं बना सकती। 

इसके बाद केंद्र सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में इस संशोधन के उस हिस्से को हटा दिया है जिसका संबंध सहकारी समितियों के गठन एवं प्रबंधन से था।


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