अमेरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे पर बोला चीन

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भारत दौरे पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने लोकतंत्र के लिए बढ़ते वैश्विक ख़तरे को लेकर चेतावनी दी है। 

उन्होंने कहा कि दुनिया के दो प्रमुख लोकतंत्र इसके आदर्शों के समर्थन में एक साथ खड़े हैं।

ब्लिंकेन चीन पर अपनी चिंता जता रहे थे, हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया था।

ब्लिंकेन की चेतावनी पर जब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लिजियान की प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई पेटेंट नहीं है। जो किसी एक देश के पास है।

 चाओ लिजियान ने कहा, "मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहता हूं कि लोकतंत्र वो सार्वजनिक आदर्श है जिसके सभी सहभागी हैं, न कि ये कोई पेटेंट है जो किसी एक देश के पास ही स्थित है। लोकतंत्र को प्राप्त करने के लिए एक तय फॉर्मूला या कोई एक मान्य तरीक़ा नहीं बल्कि कई हैं। 

"एक आदमी, एक वोट या बहुदलीय लोकतंत्र प्रणाली ही इसका एकमात्र रूप नहीं है। लोकतंत्र को किसी दूसरे देश को नीचा दिखाने या बदनाम करने या टकराव की स्थिति पैदा करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

" कौन सा देश लोकतांत्रिक है और कौन सा नहीं इसे संख्या

में बहुत कम देशों के ज़रिए निर्धारित नहीं किया जाना चाहिए।ख़ुद को ऊपर और दूसरों को नीचा दिखाना कदापि लोकतांत्रिक नहीं है।

“मैं यह बताना चाहूंगा कि एक राजनीतिक व्यवस्था को मापने के लिए मुख्य मापदंड इसमें निहित है कि क्या वह उस देश की राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल है? क्या यह राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक तरक्की लाता है और क्या लोगों की आजीविका इससे बढ़ती है, क्या इसे अपने लोगों से समर्थन प्राप्त है और क्या मानव के विकास में योगदान देता है।

" कुछ स्वघोषित लोकतांत्रिक देश लोगों के बीच आर्थिक असमानता, सामाजिक विभाजन, जाति विभाजन और राजनीतिक ध्रुवीकरण से बहुत परेशान हुए हैं, क्या ऐसा ही उनका तथाकथित लोकतंत्र दिखता है?

कुछ देशों में 'पैसा नहीं, तो वोट नहीं' की स्थिति है और जनहित से ऊपर दलगत हित है. यह लोकतांत्रिक राजनीति है या पैसे की राजनीति?

कुछ देश अन्य देशों के घरेलू मामलों में पूरे शोर-शराबे के साथ हस्तक्षेप करते हैं। उन पर दोष मढ़ते हैं और उनकी तरक्की को दबाने का पूरा प्रयास करते हैं। क्या यही तथाकथित लोकतंत्र है? यह लोकतंत्र है या वास्तव में अपना प्रभुत्व जमाना है।


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