हमारी सिंधु महान

लेखक - संजय दुबे

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भारत मे 140 करोड़ लोग है जिनमे से बामुश्किल 200 खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेने जाते है।बेटे भी जाते है बेटियां भी जाती है। पिछले कुछ सालों से बेटियां कमाल करते जा रही है। कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में जब पहला कांस्य पदक जीता था उसके बाद से बेटियो ने देश के परचम को अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर लहराया है। साइना नेहवाल,मेरी कॉम,साक्षी मालिक, ने कांस्य पदक जीता है लेकिन धूम मचाने वाली बेटी है तो पी वी सिंधु,। देश ने टीम खेल में हॉकी में 8 पदक जीते है लेकिन व्यक्तिगत रूप से पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में पुरुषों में केवल सुशील कुमार ने ही दो पदक जीते है। अब बेटियो में ये उपलब्धि पी वी सिंधु के पास आ गया है। सिंधु ने पिछले ओलंपिक में रजत पदक जीता था,इस बार भी वे आत्मविश्वास के साथ खेल रही थी। भाग्य ने उन्हें पिछले ओलंपिक के रिप्ले नही करने दिया वे फाइनल में नही पहुँची लेकिन देश की उम्मीदों पर जब खरा उतरने का मौका मिला तो वे खरी उतरी। उन्होंने आज वो खेल खेला जिसके लिए वे पूरी दुनियां में जानी जाती है। पदक की कीमत वो खिलाड़ी जानता है जिसे पदक नही मिलता है लेकिन पदक मिलने की खुशी पूरा देश महसूस करता है। आज पूरा देश में ही मन सिंधु की जीत के लिए वैसे ही कामना कर रहा था जितना एक दिन पहले। आज उन्होंने 140 करोड़ लोगों की उम्मीदों पर अपने आप को खरा सिद्ध कर दिया। उन्हें हम सिद्ध सिंधु का नाम देते है। आज पूरा देश जश्न मना रहा है उनकी जीत पर। वे कमाल करती है,कमाल करती रहे।  

आपको देश बधाई देता है,140 करोड़ शुभकामनाएं औऱ बधाई आपके नाम। देश अब प्रतीक्षा कर रहा है स्वदेश वापसी का। आइये,पलक पावड़े बिछे है आपके लिए।


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