UNSC की बैठक में बोला भारत, 'अफ़ग़ानिस्तान का अतीत उसका भविष्य नहीं बन सकता'

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भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में बढ़ती हिंसा के मुद्दे पर शुक्रवार को हुई यूएनएससी (सुरक्षा परिषद) की बैठक में स्पष्ट रूप से कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान का अतीत उसका भविष्य नहीं बन सकता।

भारत की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की गई। 

अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ़ आत्मर ने मंगलवार को इस मुद्दे पर बैठक बुलाए जाने का आग्रह किया था। 

अफ़ग़ानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि देबोराह ल्योन्स ने इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर चिंता जताई है।

उन्होंने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान इस समय एक ख़तरनाक मोड़ पर है. पिछले हफ़्तों में, अफ़ग़ानिस्तान एक नए विनाशकारी दौर में प्रवेश कर गया है। तालिबान के लड़ाकों ने कई महत्वपूर्ण इलाक़ों में बढ़त हासिल कर ली है। 

अब यहाँ तक पहुंचने के बाद सिर्फ़ दो विकल्प नज़र आते हैं, इनमें पहला विकल्प शांति और सुलह का है। वहीं, दूसरे विकल्प का मतलब एक नए क्रूर और व्यापक संघर्ष की शुरुआत है, जिसमें मानवाधिकारों के हनन के साथ एक गंभीर मानवीय संकट पैदा होगा। मेरा मानना है कि सुरक्षा परिषद या अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसी स्थितियां पैदा होने से रोक सकता है। 

तालिबान गुट की रणनीति की मानवीय कीमत बहुत ज़्यादा और चिंताजनक है। पिछले एक महीने एक हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं. अफ़ग़ानिस्तान की आधी आबादी को मानवीय सहायता की जरूरत है।हम हिंसा में कमी नहीं देख रहे हैं और आम लोगों के घायल होने की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है।

यूएनएससी को स्पष्ट बयान जारी करना चाहिए कि शहरों के ख़िलाफ़ हमले बंद होने चाहिए. देशों को सामान्य युद्धविराम पर जोर देना चाहिए, बातचीत फिर से शुरू करनी चाहिए और फिर से कहना चाहिए कि ताक़त के दम पर बनाई गई सरकार को मान्यता नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही अपराधियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।

वहीं, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा है, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए अफ़ग़ानिस्तान के साथ खड़े रहेंगे कि एक वैध और पारदर्शी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से शांति और स्थिरता बहाल हो, जो अफ़ग़ानिस्तान और क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।


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