पूर्वी लद्दाख़ के गोगरा इलाके में भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटीं, गिराए गए अस्थायी कैंप

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भारत और चीन के सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख के गोगरा इलाक़े में पिछले काफ़ी समय से जारी गतिरोध ख़त्म हो गया है।

बीती 31 जुलाई 2021 को दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख़ के चुशुल मोल्दो मीटिंग पॉइंट पर बारहवें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में इस इलाक़े से पीछे हटने पर सहमति बनी है। 

भारतीय सेना ने इस घटनाक्रम पर बयान जारी करके बताया है कि अस्थायी ढांचों को गिरा दिया गया है और दोनों पक्षों ने इसका सत्यापन और पुष्टि भी कर ली है। 

बयान में बताया गया है, दोनों पक्षों के बीच भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डिसइंगेज़मेंट (पीछे हटने) से जुड़े शेष मुद्दों के समाधान पर गहरा विचार विमर्श हुआ. इसके बाद दोनों पक्ष गोगरा इलाके में डिसइंगेज़मेंट (पीछे हटने) के लिए तैयार हुए हैं। इस इलाक़े में पिछले साल मई महीने से दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। 

इस समझौते के तहत, दोनों पक्षों ने चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से इस क्षेत्र में अग्रिम तैनाती बंद कर दी है। डिसइंगेज़मेंट प्रक्रिया को दो दिनों यानी 04 और 05 अगस्त 2021 को अंजाम दिया गया. और दोनों पक्षों के सैनिक अपने-अपने स्थायी ठिकानों में हैं।

इसके साथ ही दोनों पक्षों द्वारा इस इलाके में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचों और अन्य सहयोगी इंफ्रास्ट्रक्चर को गिरा दिया गया है।इसे दोनों पक्षों की ओर से सत्यापित भी कर लिया गया है। यहां की ज़मीन पर कब्ज़ा अब तनाव बढ़ने से पहले जैसी स्थिति में आ गया है। 

बयान में आगे कहा गया है कि ये समझौता सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल का सख़्ती से निरीक्षण एवं सम्मान किया जाएगा। 

इस समय देपसांग और हॉट स्प्रिंग्स इलाके में तनाव जारी है। 

वहीं, गलवान, पेंगोग त्सो और अब गोगरा इलाके में तनाव कम होता दिख रहा है। 

हालांकि, हाल ही में देमचोक इलाके में तनाव बढ़ने की ख़बरें आई थीं लेकिन देमचोक का नाम अप्रैल 2020 की लिस्ट में नहीं था।


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