छठे सत्र में लोकसभा में शून्य काल के दौरान ऐसी रही स्थिति

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छठे सत्र में लोकसभा में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व का एक भी मामला नहीं उठाया गया। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में शून्य काल के दौरान तत्काल सार्वजनिक महत्व के कुल 1066 मामले उठाए गए थे। दूसरे सत्र में यह आंकड़ा 934 रहा था। वहीं,तीसरे सत्र में ऐसे मामलों की संख्या 436, चौथे सत्र में 370 और पांचवें सत्र में 583 रही थी।

नियम 193 के तहत एक भी चर्चा नहीं हुई।मंत्रियों की ओर से कुल 52 बयान दिए गए। इसके अलावा इस सत्र में संसदीय समितियों की ओर से कुल 60 रिपोर्ट पेश की गईं। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में एक भी रिपोर्ट नहीं पेश की गई थी। दूसरे सत्र में यह संख्या 48, तीसरे सत्र में 58, चौथे सत्र में दो और पांचवें सत्र में 171 रही थी।


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