राज्य में संतुलित विकास का प्रयास - भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि भाइयों और बहनों, छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह सुअवसर मिला था कि राज्य के हर हिस्से में विकास के असंतुलन को समाप्त कर दिया जाए, लेकिन विडम्बना है कि इस दिशा में सही सोच के साथ सही प्रयास नहीं किए गए। हमने देखा कि ग्रामीण और वन क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों के उपयोग और स्थानीय लोगों की भागीदारी से इन अंचलों में तेजी से विकास किया जा सकता है, जिससे गांवों और शहरों के बीच बन गई गहरी खाई को पाटा जा सके। यह भी एक विडम्बना ही रही कि वन अधिकार अधिमान्यता पत्र वितरण से आदिवासी और परंपरागत वन निवासी समुदायों को जमीन का जो अधिकार मिल सकता था, वह भी सही ढंग से नहीं दिया गया। हमने न्याय की शुरुआत इसी मुद्दे से की थी। आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने मात्र पौने तीन वर्षों में एक ओर जहां निरस्त दावों की समीक्षा करके बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र दिए, वहीं दूसरी ओर 44 हजार से अधिक सामुदायिक और 2 हजार 500 से अधिक सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र दिए हैं। इतना ही नहीं, नगरीय क्षेत्रों में भी वन अधिकार पत्र देने वाला अग्रणी राज्य हमारा छत्तीसगढ़ बन गया है। लोहंडीगुड़ा के बाद स्थानीय लोगों को अपनी जमीन का हक दिलाने की यह एक बड़ी मिसाल है। इतना ही नहीं, अब वन अधिकार की जमीनों पर धान उपजाने या वृक्ष लगाने वाले लोगों को भी ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ और ‘मुख्यमंत्री वृ़़क्षारोपण प्रोत्साहन योजना’ से जोड़ा गया है। *
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