लघु वनोपज बन गए वनवासियों की ताकत- भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासी और वन आश्रित परिवारों के जीवनयापन का सबसे बड़ा सहारा वनोपज है, लेकिन पहले तेन्दूपत्ता संग्राहकों को मात्र 2 हजार 500 रुपए प्रति मानक बोरा पारिश्रमिक दिया जाता था, जिसे हमने बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया। पहले मात्र 7 लघु वन उपजों को ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता था। हमने 52 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था की है। इनमें से 17 उपजों की दरें हमने बढ़ाई। इस तरह से 500 करोड़ रुपए से अधिक सालाना अतिरिक्त आमदनी हमारे आदिवासी एवं वन आश्रित परिवारों को प्राप्त हो रही है। भारत सरकार द्वारा की गई विस्तृत समीक्षा के हवाले से मैं सिर्फ एक उदाहरण देना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ ने बीते दो वर्षों में 1 हजार 173 करोड़ रुपए की लघु वनोपज खरीदी है, जो कि देश में कुल खरीदी का 74 प्रतिशत है। भारत सरकार ने वन-धन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की तो पाया कि छत्तीसगढ़ 10 मापदण्डों में देश में अग्रणी है। इतना ही नहीं 15 महिला स्वसहायता समूहों को भी वनोपज के कामकाज में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत किया गया है। हम जिस बदलाव की बात करते थे, उसकी तस्दीक अब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है, जिसके लिए मैं वन क्षेत्रों में रहने वाले सभी भाइयों-बहनों, स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं और युवा साथियों को बधाई देता हूं कि स्वावलम्बन की दिशा में उन्होंने बड़ी मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। *
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