अमर शहीदों का पुण्य स्मरण*

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने संदेश में कहा कि 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली थी और आज के दिन हम 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। यह हम सबके लिए बहुत सौभाग्य की बात है। भारत ने दो शताब्दी से अधिक समय तक अंग्रेजों की प्रताड़ना और उनका शासन सहा है। गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए भारत माता के हजारों-हजार सपूतों और सुपुत्रियों ने अपना सर्वस्व त्याग किया। हंसते-हंसते बलि-वेदी पर चढ़ गए। उन वीरों को याद करते ही हमारी नसों में अपने महान पुरखों का खून उबलने लगता है और उन सबके त्याग के बारे में सोचकर आंखें नम हो जाती हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ ही एक के बाद एक हजारों चेहरे नजरों के सामने आने लगते हैं। अमर शहीद गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, वीरांगना अवंति बाई लोधी, लाल-बाल-पाल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसे नामों का एक कारवां बनता चला जाता है।
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