स्वनिर्भर बनना होगा"-मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहां भारतीय अर्थव्यवस्था में रोज़गार कैसे उत्पन्न हों, स्वदेशी और आर्थिक स्वनिर्भरता जैसे मुद्दों की बात भी की।

उन्होंने कहा, "स्वदेशी का मतलब दुनिया में सब को छोड़ देना नहीं है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार रहेगा, लेना देना रहेगा लेकिन शर्तें अपनी रहेंगी. भारत की शर्तों पर बिजनेस. मन की हमारी चलेगी. हमारी मर्जी को कोई दबा नहीं सकेगा. उसके लिए स्वावलंबी होना पड़ेगा. और स्वावलंबन से हमारे रोज़गार बनते हैं. नहीं तो हमारे रोज़गार चले जाते हैं, भूख उत्पन्न होती है और हिंसा होती है. तो स्वदेशी का अर्थ है स्वावलंबन और अहिंसा।

 

 इस दौरान भागवत ने आर्थिक सुरक्षा को ज़रूरी बताया. उन्होंने कहा, "स्वतंत्र देश को स्वनिर्भर होना है. जितना स्वनिर्भर होंगे उतना सुरक्षित रहेंगे. आर्थिक सुरक्षा पर बाकी सभी सुरक्षा निर्भर है. और सुरक्षा इसी में है."

भागवत ने ज़ोर देकर कहा, "जो चीज़ें हम घर पर बना सकते हैं उसे बाज़ार से नहीं लाना चाहिए." उन्होंने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य के ख़िलाफ़ नहीं हैं लेकिन उत्पादन गांवों में होना चाहिए. बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं बल्कि जनता के ज़रिए उत्पादन होना चाहिए. स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने से भारतीय अर्थव्यवस्था में रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर पैदा होंगे. और जितने उत्पादक बढ़ेंगे, स्वनिर्भर लोगों की संख्या भी बढ़ेगी."


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