तालिबान ने बताया उनके शासन में कैसी होगी अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं की ज़िंदगी

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बीते कुछ हफ़्तों में तालिबानी लड़ाकों ने जैसे-जैसे राजधानी काबुल की ओर कदम बढ़ाए हैं,वैसे-वैसे अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं की चिंता बढ़ती गई है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि तालिबानी शासन आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की ज़िंदगियों पर क्या असर पड़ेगा.

 पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेश ने महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है.

गुटरेश ने ट्वीट करके लिखा है. "गंभीर रूप से मानवाधिकार उल्लंघन की ख़बरों के बीच अफ़ग़ानिस्तान में जारी संघर्ष हज़ारों लोगों को भागने पर मजबूर कर रहा है.सभी तरह की यातनाएं बंद होनी चाहिए.अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के मामले में बहुत मेहनत के बाद जो कामयाबी हासिल की गई है, उसे संरक्षित किया जाना चाहिए.

इसी बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दुनिया भर के नेताओं, विशेषज्ञों और हस्तियों द्वारा तालिबानी शासन में महिलाओं के जीवन को लेकर जताई गई चिंताओं पर अपना पक्ष रखा है.

तालिबान के प्रवक्ता ने मिडीया को दिए इंटरव्यू में बताया है कि आने वाली सरकार में महिलाओं को काम करने और पढ़ाई करने की आज़ादी होगी।

स्थानिय मिडीया बातचीत मे याल्दा हकीम से बातचीत करते हुए सुहैल शाहीन ने विस्तार से तालिबानी शासन के अंतर्गत न्यायपालिका, शासन और सामाजिक व्यवस्था पर बात की.

लेकिन सवाल ये है कि क्या इस तालिबानी शासन में पिछले दौर के तालिबानी शासन की अपेक्षा महिलाओं की स्थिति बेहतर होगी.

याल्दा हकीम ने कई सवालों के माध्यम से इस बात को समझने की कोशिश की. ऐसे कई सवालों पर शहीन बचते हुए नज़र आए.


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