सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: वंशावली से साख नहीं बनती, यह वकील की बहस की तैयारी पर निर्भर करता है

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सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि शीर्ष अदालत में प्रतिष्ठा किसी के बेटे या बेटी होने से नहीं बनती है बल्कि यह वकील की क्षमता पर होता है कि उसने बहस की तैयारी कैसे की और कैसी बहस करता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश अपने सामने पेश होने वाले वकीलों की वंशावली से प्रभावित नहीं होते हैं।
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