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अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान का हक़्क़ानी नेटवर्क क्या है और ये कितना ताक़तवर है?
हक़्क़ानी नेटवर्क अफ़ग़ान तालिबान की एक सैन्य शाखा है. इसके बारे में ये उम्मीद की जा रही है कि यह तालिबान के नए ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
जलालुद्दीन हक़्क़ानी ने इस गुट की स्थापना की थी और 1980 के दशक में सोवियत संघ के ख़िलाफ़ जंग में अहम भूमिका निभाई थी.
तब जलालुद्दीन हक़्क़ानी को सीआईए और पाकिस्तान जैसे उसके सहयोगियों की मदद मिली थी. जंग के दौरान और सोवियत संघ की वापसी के बाद भी इस गुट का दबदबा बना रहा.
साल 1996 में जलालुद्दीन हक्कानी तालिबान में शामिल हो गए और तालिबान की पहली हुकूमत के दौरान एक महकमे के मंत्री के रूप में भी काम किया.
साल 2018 में, तालिबान ने घोषणा की कि जलालुद्दीन हक़्क़ानी की लंबी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई थी, और उनका बेटा सिराजुद्दीन हक़्क़ानी गुट का प्रमुख बन गया.
उनके छोटे भाई अनस हक़्क़ानी काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद से पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई और पूर्व मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ बातचीत कर रहे हैं.
साल 2019 में अफ़ग़ान सरकार की हिरासत से अनस हक़्क़ानी की रिहाई को संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान के बीच सीधी बातचीत की शुरुआत के रूप में देखा गया.
इसी शुरुआती कदम के बाद अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका की वापसी मुमकिन हुई. हक़्क़ानी नेटवर्क की वित्तीय ताकत और सैन्य ताकत के कारण, इसे तालिबान के भीतर अर्ध-स्वायत्त भी माना जाता है.
हक़्क़ानी नेटवर्क को अमेरिका ने विदेशी चरमपंथी गुट का दर्जा दिया है और संयुक्त राष्ट्र ने इसे प्रतिबंधित कर रखा है.
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