"नये दौर" के अफगानिस्तान से क्या बढ़ेगी भारत की चिंताएं ?

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अफगानिस्तान नए दौर से गुजर रहा है . वहां सत्ता में बदलाव के बाद भारत के सामने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के साथ ही कई अन्य अहम मसले हैं। अफगानिस्तान में भारत के आर्थिक हितों की रक्षा और दोस्ती बनाए रखने की कवायद आदि बहुत महत्त्वपूर्ण सवाल हैं. वहां काबुल पर काबिज तालिबान अफगानिस्तान को 'इस्लामिक अमीरात आँफ अफगानिस्तान’के तौर पर परिभाषित कर रहा है।साल 2020 के ‘दोहा समझौते,पर तालिबान ने इसी नाम से हस्ताक्षरकर्त किए थे। हाल में भारत को लेकर दो परिघटनाएं अहम हैं। एक तो को खुद तालिबान ने दूर करने का प्रयास किया है। दूसरे, भारत की अध्यक्षता के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्तावना में 15 दिनों केभीतर बदलाव कर संकेत दिया गया कि तालिबान से अब गुरेज नहीं. भारत समेत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य तालिबान को अब सत्ता के एक भागीदार के रूप में देख रहे हैं.


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