हेड कांस्टेबल रतन लाल के मर्डर केस में पांच को ज़मानत, अदालत - 'असहमति जताना मौलिक अधिकार'

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दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दंगों के दौरान मारे गए दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले में पांच अभियुक्तों आरिफ, शाहबाद, फुरकान, सुवलीन और तबस्सुम को जमानत दी है.

कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन करना और अपनी असहमति व्यक्त करना एक मौलिक अधिकार है

इस अधिकार का प्रयोग करने वालों की क़ैद को जायज़ ठहराने के लिए इस अधिकार के प्रयोग मात्र को एक हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा है, “भारतीय दंड संहिता की धारा 149 को, विशेषत: जब उसे धारा 302 के साथ पढ़ा जाए, सामान्य आरोपों और अस्पष्ट सबूतों के आधार पर लागू नहीं किया जा सकता. जब भीड़ से जुड़ा मामला हो तब अदालतों को जमानत देने या ख़ारिज करते समय इस नतीज़े पर पहुंचने में कोताही बरतनी चाहिए कि ग़ैर-कानूनी सभा के सभी सदस्य एक ग़ैर-क़ानूनी साझे उद्देश्य को हासिल करने का साझा इरादा रखते हैं.

इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि यह उसका संवैधानिक कर्तव्य है कि राज्य की शक्ति की अधिकता की स्थिति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता को मनमाने ढंग से न छीना जाए


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