तकनीक के इस दौर में बदल गई गुरु-शिष्य की परंपरा

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तकनीक के इस दौर में गुरु-शिष्य की परंपरा बदल गई है। गुरु भी कुछ बदले हैं। छात्र भी कुछ बदले हैं। फिर भी दोनों के बीच का रिश्ता बहुत नहीं बदला है। पढ़ाई में किताबें आएंगी तो गुरु भी आएंगे ही, लेकिन ‘जिंदगी की किताब’ को पढ़ाने वाले गुरुओं का सम्मान पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा, क्योंकि हर अंधेरे से निकलने के लिए रोशनी तो वही दिखाते हैं।
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