संस्कारों से कांग्रेस का कभी कोई वास्ता नहीं रहा : श्रीमती राजपूत

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रायपुर - भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत ने भाजपा प्रदेश प्रभारी व सांसद डी. पुरंदेश्वरी के बयान को तोड़-मरोड़कर झूठ फैलाने और आंदोलन करने के कांग्रेस के प्रयासों को बचकानेपन की पराकाष्ठा बताते हुए कहा है कि कांग्रेस इस नियति को भोगने के लिए अभिशप्त हो गई है। श्रीमती राजपूत ने कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता द्वारा भाजपा के संस्कारों पर टिप्पणी करने के लिए भी आड़े हाथों लिया और कहा कि शीशे के घर में रहने वालों को दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए।

भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती राजपूत ने कहा कि कांग्रेस के लोगों को पहले अपने और कांग्रेस के राजनीतिक संस्कारों की फ़िक्र कर लेनी चाहिए। कांग्रेस और प्रदेश सरकार के लोगों को झूठ का रायता फैलाने की बुरी लत लगी हुई है। झूठ की राजनीति के चलते ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी तक मांगनी पड़ी थी। हर मुद्दे पर ओछी राजनीति करती कांग्रेस के राजनीतिक चरित्र और संस्कारों से न केवल छत्तीसगढ़, अपितु पूरा देश वाक़िफ़ है। इसलिए कांग्रेस के लोग पहले अपने गिरेबाँ में झाँकें और प्रमाणपत्र बाँटना बंद करें। श्रीमती राजपूत ने कहा कि भाजपा के संस्कारों पर टिप्पणी करने से पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता कांग्रेस के कलंकपूर्ण राजनीतिक चरित्र के बारे में अपना ज्ञान बढ़ा लें। जिस कांग्रेस की संस्कृति ही किसी महिला को तंदूर में भून डालने की रही है, वह पार्टी और उसके लोग संस्कारों की बात किस मुँह से कर रहे हैं? जिस पार्टी के मुख्यमंत्री ने सुआ नृत्य के गरिमामय व अभूतपूर्व आयोजन को लेकर भाजपा की सांसद डॉ. (सुश्री) सरोज पांडे पर सार्वजनिक तौर पर अशिष्ट टिप्पणी की हो, वे छत्तीसगढ़ की गरिमापूर्ण सांस्कृतिक परम्पराओं का खुले तौर पर राजनीतिकरण करते हुए ज़रा भी शर्म महसूस नहीं कर रहे हैं। जिस पार्टी का एक विधायक अपनी ही सरकार के मंत्री पर हत्या कराने का आरोप लगाए, बाद में माफ़ी मांगे और फिर सरगुजा के आदिवासियों को खुलेआम अनपढ़ बताए, फिर एक अधिकारी को अश्लील गालियाँ देकर जूते से मारने की धमकी दे, उस पार्टी को संस्कारों की दुहाई देते देखकर तरस ही खाया जा सकता है।

भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती राजपूत ने कहा कि एक लोकतांत्रिक संवैधानिक तंत्र में कांग्रेस का आज़ादी के बाद से लेकर अब तक का समूचा राजनीतिक आचरण यह बताने के लिए पर्याप्त है कि कांग्रेस का समूचा राजनीतिक चरित्र बददिमाग़ी, बदज़ुबानी और बदसलूक़ी से कलंकित है, उनसे हमें प्रमाण पत्र लेने की ज़रूरत नहीं है।


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