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आदिवासियों के हितों के संरक्षण के लिए सरकार प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री बघेल
आदिवासी समाज की समस्याओं के निदान के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की कमेटी गठित करने की घोषणा सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों से शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ समाज के लोगों को दिलाने के लिए सहयोग का आह्वान रायपुर - मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्य के आदिवासी समुदाय के हितों का संरक्षण और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। सरकार के प्रयासों से बीते ढाई सालों में आदिवासियों के जीवन स्तर में बदलाव आया है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सुलभ हुए हैं। आदिवासी समाज की आर्थिक स्थिति और क्रय शक्ति बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने दंतेवाड़ा जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2018 में दंतेवाड़ा जिले में ट्रेक्टर की बिक्री नहीं के बराबर थी। बीते ढाई सालों में आदिवासी किसानों ने खेती-बाड़ी के काम के लिए 400 से अधिक ट्रेक्टर की खरीदी की है। मोटर-सायकिल की बिक्री की संख्या ढाई सालों में दहाई के आंकड़े को पार कर 5 हजार तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज शाम अपने निवास कार्यालय में सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधि मंडल को सम्बोधित कर रहे थे। सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष श्री भरत सिंह के नेतृत्व में प्रदेश के सभी अंचल के प्रतिनिधि सामाजिक समस्याओं के संबंध में चर्चा के लिए मुख्यमंत्री निवास पहुंचे थे। प्रतिनिधि मंडल में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा सहित राज्य प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। इस अवसर पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, संसदीय सचिव शिशु पाल सोरी, इन्द्रशाह मंडावी, यू.डी. मिंज, चन्द्रदेव राय, विकास उपाध्याय, विधायक संत कुमार नेताम, बृहस्पत सिंह, श्रीमती लक्ष्मी ध्रुव सहित आदिवासी समाज के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिनिधि मंडल में शामिल सर्वआदिवासी समाज के पदाधिकारियों की एक-एक कर उनकी बाते सुनीं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आदिवासी समाज की समस्याओं की सुनवाई और निदान के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आदिवासी हितों से संबंधित सभी विभागों के सचिवों की कमेटी के गठन की घोषणा की। उन्होंने सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों विशेषकर सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासिक अधिकारियों से सचिव स्तर की कमेटी के समक्ष आदिवासी समाज के कल्याण एवं उनके संवैधानिक हित के संरक्षण के संबंध में सभी मामलों को रखने और उस पर विस्तार से चर्चा करने की बात कही। मुख्यमंत्री निवास में पहुंचे सभी सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सब के साथ आज कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के कारण कई मामलों में तेज गति से काम नहीं हो सका है, जो अपेक्षित था। लॉकडाउन के दौरान लोगों को सुरक्षित रखने और उन्हें सुविधाएं देने की चिंता रही। इस दौरान लघु वनोपज की खरीदी की भी चुनौती रही। छत्तीसगढ़ सरकार ने बेहतर प्रबंधन के जरिए हर चुनौतियों पर विजय पायी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों पर दर्ज मामलों के निराकरण के लिए गठित पटनायक समिति की अनुशंसा के अनुरूप सभी मामले निराकृत किए जा चुके हैं। शेष न्यायालयीन प्रकरण भी तेजी से निराकृत किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने दक्षिण बस्तर अंचल से अन्य राज्यों में रोजी-रोजगार के उद्देश्य से गए परिवारों को उनके गांवों में जमीन का पट्टा दिलाने में सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों से सक्रिय रूप से सहयोग का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार वन भूमि के निरस्त दावों का परीक्षण कर अब तक 50 हजार से अधिक वनवासियों को पट्टा दे चुकी है। सुकमा जिले में वर्षों से बंद स्कूलों को फिर से शुरू करा दिया गया है। अबूझमाड़ एरिया के 14 गांवों में एक हजार से अधिक लोगों को राजस्व भूमि का पट्टा सरकार ने दिया है और उनसे समर्थन मूल्य पर धान की भी खरीदी की है। मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के लोगों के जाति प्रमाण पत्र बनने संबंधी समस्याओं के निदान के साथ ही फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामलों के निराकरण में तेजी लाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के आदिवासी अंचल में शिक्षा और स्वास्थ्य बहुत बड़ी चुनौती रही है। ढाई सालों में सरकार ने वनांचल के इलाकों में स्वास्थ्य और शिक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास किया है। चिकित्सकों और शिक्षकों की कमी को पूरा किया गया है। यही वजह है कि अब वनांचल के प्रतिनिधियों एवं लोगों द्वारा शिक्षक और चिकित्सक की मांग नहीं की जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने यह स्पष्ट रूप से निर्णय लिया है कि उद्योगों के लिए आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित नहीं की जाएगी। वनांचल में वनोपज आधारित छोटे-छोटे उद्योगों के लिए आवश्यक 50 से 100 एकड़ शासकीय भूमि आवंटित की जाएगी। उन्होंने कहा कि वनोपज से लेकर लघु धान्य फसलों की खरीदी और वेल्यू एडिशन का काम शुरू किया गया है, इससे वनांचल में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और आदिवासी किसानों और संग्राहकों को अधिक आय होने लगी है। सुदूर वनांचल के लोगों की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और उनकी समस्याओं के निदान के लिए सरकार की ओर से कैम्प भी आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यक्रम के प्रारंभ में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष भरत सिंह एवं वरिष्ठ पदाधिकारी बी.एल. ठाकुर, बी.पी.एस. नेताम, धनंजय सहित अन्य पदाधिकारियों ने सर्व आदिवासीा समाज की समस्याओं के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी।
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