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नरेंद्र गिरि केस अपडेटः कहां-कहां सफाई दूंगा, मैं बदनाम हो जाऊंगा इसलिए दे रहा हूं जान
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के अब उनका 8 पेज का सुसाइड नोट सामने आया है. पुलिस को महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास से सोमवार को यह सुसाइड नोट मिला था.
महंत नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में कई बातों का जिक्र किया है. गिरी ने अपनी वसीयत को लेकर भी नोट में लिखा. उसमें बलवीर गिरि का नाम शामिल हैं. नरेंद्र गिरि ने लेटर में अपनी सेवा में लगे विद्यार्थियों का भी जिक्र किया है और उनका ध्यान रखने की बात कही है. साथ ही आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी और संदीप तिवारी पर कार्रवाई करने की मांग की.
प्रयागराज के पुलिस प्रशासन से की कार्रवाई की मांग
नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि मैं दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं. मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी और संदीप तिवारी की है. मेरा प्रयागराज के पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध है कि मेरी मौत के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कार्रवाई की जाए. ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके.
गलत फोटो वायरल करने का था डर
नरेंद्र गिरि ने ये भी बताया कि उन्होंने पहले भी अपनी जान देने की कोशिश की थी. उन्होंने आगे लिखा कि मैं महंत नरेंद्र गिरि वैसे तो 13 सितंबर 2021 को आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया. आज हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर वायरल कर देगा.
आनंद गिरि को बताया परेशानी की वजह
उन्होंने अपने सुसाइड लेटर में आगे लिखा, ‘मैंने सोचा कि मैं कहां-कहां सफाई दूंगा. एक बार तो बदनाम हो ही जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं, वो बेहद गरिमापूर्ण पद है. सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चलेगी. लेकिन मैं तो बदनाम हो जाऊंगा. इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. इसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, अद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी की होगी. मैं आज आनंद गिरि के कारण बहुत विचलित हो गया. आज हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि मोबाइल के माध्यम से किसी छोटी महिला या लड़की के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा. आनंद गिरि का कहना था कि महाराज बदनामी के डर से कहां तक सफाई देते रहोगे.
नरेंद्र गिरि ने मानसिक दबाव में होने की कही बात
नरेंद्र गिरि ने अपने और आनंद गिरि के पुराने विवाद का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा, ‘मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो मैं समाज में कैसे जी पाऊंगा. इससे अच्छा मर जाना ही ठीक है. एक ऑडियो कैसेट आनंद गिरि ने जारी किया था जिससे मेरी बदनामी हुई थी और आज मैं हिम्मत हार गया हूं.’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘मैं महंत नरेंद्र गिरि अपने होशो-हवास में बगैर किसी दबाव के ये पत्र लिख रहा हूं. जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर झूठा और मनगढ़ंत आरोप लगाया है तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं. जब भी मैं एकांत में होता हूं तो मर जाने की इच्छा होती है. आनंद गिरि, अद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया और मुझे जान से मारने का प्रयास किया.’
कई लोगों के नामों का किया जिक्र
नरेंद्र गिरि ने अपनी वसीयत को लेकर भी नोट में जिक्र किया. उन्होंने आगे लिखा कि प्रिय बलवीर गिरि, मैंने तुम्हारे नाम एक वसीयत रजिस्टर की है जिसमें मेरे मरने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ गद्दी के महंत बनोगे. तुमसे मेरा एक अनुरोध है कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थी जैसे मिथिलेश पांडे, रामकृष्ण पांडे, मनीष शुक्ला, शिवम कुमार मिश्रा, अभिषेक कुमार मिश्रा, सुमीत तिवारी, उज्जवल द्विवेदी, प्रजवल द्विवेदी का ध्यान रखना. उन्होंने बलवीर गिरि के लिए आगे लिखा कि जिस तरह से ये सभी मेरे साथ और मेरे समय में रहे हैं, उसी तरह ये तुम्हारे साथ रहेंगे. इन सभी का ध्यान रखना और उपरोक्त जिन लोगों का मैंने नाम लिया है, तुम लोग भी हमेशा बलवीर गिरि का सम्मान करना. जिस तरह से मेरी सेवा की है उसी तरह से बलवीर गिरि और मठ-मंदिर की सेवा करना.
अपने कुछ पसंदीदा विद्यार्थियों के नामों का किया जिक्र
महंत नरेंद्र गिरि ने आगे लिखा कि वैसे तो मुझे सभी विद्यार्थी प्रिय हैं लेकिन मुझे खासतौर पर शिवम मिश्रा, अभिषेक मिश्रा और मनीष शुक्ला अतिप्रिय हैं. जब मुझे कोरोना हुआ था तब सुमित तिवारी ने मेरी सेवा की थी. धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाबी बलवीर गिरि महाराज को दे देना. मैं बलबीर गिरि से निवेदन करता हूं कि मेरी समाधि पार्क में नींबू के पेड़ के पास लगा देना
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