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शारदीय नवरात्रि आरंभ, जानें घटस्थापना शुभ मुहूर्त और जरूरी बातें
आज से देवी आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि आरंभ हो चुके है. नवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगी.15 अक्टूबर को विजय दशमी का पर्व मनाया जायेगा. इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. नवरात्रि में व्रत की शुरुआत करने के पहले कलश स्थापना भी की जाती है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर गुरुवार सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर 8 बजकर 17 मिनट ,दूसरा मुहूर्त सुबह 9 बजकर 1 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहने वाला है. इसके अलावा जो भक्त सुबह कलश स्थापना न कर पा रहे हो उनके लिए दिन में 11 बजकर 33 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ रहने वाला है.
कलश स्थापना के साथ ये कार्य जरूर करें
नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण लगाएं. क्योंकि माता इस दिन भक्तों के घर में आती हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में निवास करती हैं. नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए. जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें. उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें. वास्तुशास्त्र के अनुसार, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है.आप भी अगर हर साल कलश स्थापना करते हैं तो आपकी इसी दिशा में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए.
कलश पर नारियल ऐसे रखें
शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।”यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ नहीं हो. नारियल का मुख नीचे होने से शत्रुओं की वृद्धि होती है। नारियल खड़ा करके रखते हैं और उसका मुंह ऊपर की ओर होता है तब रोग बढ़ता है, यानी घर में रहने वाले लोग अधिक बीमार होते हैं। कलश पर नारियल रखते समय अगर नारियल का मुख पूर्व दिशा की ओर होता है तो आर्थिक हानि होती है यानी धन की हानि के योग बनते रहते, लेकिन कलश स्थापना का यह उद्देश्य तभी सफल होता है जब कलश पर रखा हुआ नारियल का मुख पूजन करने वाले व्यक्ति की ओर हो.
9 दिन में करें मां के नौ रूपों की पूजा
अपने कुल देवी देवता की पूजा के साथ-साथ नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना अर्थात घट स्थापना के साथ ही नवरात्रिा की शुरुआत होती है. पहले दिन मां शैलपुत्री तो दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, तो पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. छठे दिन मां कात्यायनी एवं सातवेंदिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. आठवें दिन महागौरी तो नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
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