अवमानना मामले में शिक्षा निदेशालय को 100 पेड़ लगाने का आदेश

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बच्चों की स्कूल फीस से जुड़े मसले पर समय से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को अब 100 पेड़ लगाने होंगे। उच्च न्यायालय ने शिक्षा निदेशालय को 100 पेड़ लगाने की शर्त पर ही मामले में जवाब दाखिल करने की अनुमति दी।

जस्टिस नज्मी वजीरी ने यह आदेश तब दिया जब बच्चों के स्कूल फीस से जुड़े अवमानना के मामले में शिक्षा निदेशालय की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई। अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए निदेशालय की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि पेड़ लगाने की शर्त पर ही अब जवाब दाखिल करने का समय दिया जाएगा। इसके बाद न्यायालय ने शिक्षा निदेशालय को खैर, पिलखन, सफेद और काला सिरिस, अमलतास सहित 16 प्रजाती के 100 देशी पेड़ लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने शिक्षा निदेशालय को 2 सप्ताह के भीतर वन विभाग की देखरेख में एनएच 24 के बगल में निजामुद्दीन ब्रिज के पास पेड़ लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि पेड़ की लंबाई 6 फीट से कम नहीं होनी चाहिए और पेड़ कम से कम दो साल का होना चाहिए। पेड़ लगाने के बाद पीठ ने वन विभाग और शिक्षा निदेशालय को तस्वीरों के साथ अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। साथ ही अवमानना मामले में मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च, 2022 से पहले जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने मास्टर मेधांश गर्ग की ओर से अधिवक्ता खगेश झा द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। याचिका में निजी स्कूल और शिक्षा निदेशालय पर उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कराने का आरोप लगाया है।

क्या है मामला 

दरअसल, उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में मेधांश गर्ग की ओर से अधिवक्ता खगेश झा ने निजी स्कूल पर वार्षिक और विकास शुल्क के मामले में न्यायालय द्वारा पारित फैसले की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने स्कूलों को वार्षिक और विकास शुल्क वसूलने की अनुमति देने के साथ-साथ कुल फीस पर 15 फीसदी छूट देने का भी निर्देश दिया था। अधिवक्ता खगेश ने कहा है कि स्कूल फैसले की अनदेखी कर छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क के अलावा परिवहन और स्कूल में नाश्ते के मद का भी पैसा वसूल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूलों की मनमानी के खिलाफ याचिकाकर्ता की शिकायत पर शिक्षा निदेशालय ने कार्रवाई नहीं की।


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