यूपीएससी: सिविल सेवा परीक्षा में लगातार पिछड़ रहे हिंदी माध्यम के छात्र, कठिन शब्दों से होती है दिक्कत

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देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा, सवालों का विस्तृत दायरा और नियत समय में बेहतरीन जवाब देने की चुनौती. इनके बीच अगर आप सवालों का ही अर्थ न निकाल सकें तो सालों की आपकी अनवरत पढ़ाई और आईएएस बनने का ख्वाब तार-तार होने की आशंका बढ़ जाती है। हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा देने वाले प्रतिभागियों के साथ यही हो रहा है. मातृभाषा में पढ़ाई करके इसी भाषा में आईएएस बनने की ललक ही सेवा में दाखिल होने के उनके सपने को दुर्लभ बना देती है.

यूपीएससी सिविल सेवा में हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों की सफलता दर से जुड़े आंकड़े इस तरफ इशारा कर रहे हैं. 24 सितंबर को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2020 के घोषित परिणाम में 761 प्रतिभागियों को चयनित किया गया। इसमें हिंदी माध्यम वालों की संख्या महज 25-30 के बीच थी. वहीं, हिंदी माध्यम के टॉपर को 200 से भी नीचे की रैंक मिली। कई साल की तुलना में यह काफी खराब है.

दर्द हिंदी के प्रतिभागी का 

हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाली छात्रा रूबी नियाजुल का कहना है कि प्रश्न समझ पाना ही मुश्किल होता है. प्रारंभिक परीक्षा के साधारण ज्ञान व सीसैट वाले पेपर में कई प्रश्न सिलेबस से बाहर के होते हैं. हिंदी भाषा ऐसी होती है कि बिना अंग्रेजी में प्रश्न पढ़े समझ में ही नहीं आता.


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