भारत के पास 319 अरब टन का कोयला भंडार

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भारत में कोयले के ओद्योगिक खनन की कहानी पश्चिम बंगाल के रानीगंज से शुरू हुई जहां ईस्ट इंडिया कंपनी ने नारायणकुड़ी इलाक़े में 1774 में पहली बार कोयले का खनन किया.

लेकिन उस दौर में ओद्योगिक क्रांति भारत तक नहीं पहुंची थी और कोयले की मांग बहुत कम थी. ऐसे में अगली एक सदी तक भारत में बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन नहीं हुआ.

1853 में ब्रिटन में भाप चलित रेल इंजन के विकास के बाद कोयले का उत्पादन और खपत दोनों में ही बढ़ोतरी आई. बीसवीं सदी की शुरुआत तक भारत में कोयला उत्पादन 61 लाख टन प्रतिवर्ष तक पहुंच गया था.

लेकिन आज़ादी के बाद भारत की आकांक्षाएं बढ़ी और कोयला इन बढ़ती आकांक्षाओं की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने का अहम ज़रिया बन गया. आज भारत कोयले के उत्पादन और खपत के मामल में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है.


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