आख़िर क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल

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हाइपरसोनिक मिसाइल से आशय उन मिसाइलों से है जो आवाज़ की गति से पांच गुना तेज रफ़्तार से उड़ते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं.

लेकिन हाइपरसोनिक हथियारों को उनका विशेष दर्जा उनकी स्पीड से नहीं मिलता है.

सेंटर फॉर एयरपॉवर स्टडीज़ से जुड़ीं परमाणु हथियारों की विशेषज्ञ मनप्रीत सेठी बताती हैं, "हाइपरसोनिक एक काफ़ी पुरानी तकनीक है. बैलिस्टिक मिसाइलें भी ध्वनि की गति से तेज चलती हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि हाइपरसोनिक मिसाइल का एक्स फैक्टर या ख़ास बात क्या है.

रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ राहुल बेदी इस मिसाइल की मारक क्षमता को समझाते हुए कहते हैं, "हाइपरसोनिक मिसाइली पिछले 30-35 सालों की सबसे आधुनिक मिसाइल तकनीक है. इसके तहत पहले एक व्हीकल मिसाइल को अंतरिक्ष में लेकर जाता है. इसके बाद मिसाइल इतनी तेजी से लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं कि एंटी मिसाइल सिस्टम इन्हें ट्रैक करके नष्ट नहीं कर पाते."

कहते हैं कि किसी भी हथियार की उपयोगिता उस वक़्त तक बनी रहती है जब तक मुकाबले में उससे उन्नत हथियार न आ जाए.

ये बात बैलिस्टिक मिसाइल और हायपरसोनिक मिसाइल पर भी लागू होती दिखती है.

सेठी बताती हैं, "बैलिस्टिक मिसाइल भी हायपरसोनिक गति से चलती है लेकिन जब उसे एक जगह से लॉन्च किया जाता है तो पता चल जाता है कि वह कहां गिरेगी. ऐसे में इन मिसाइलों को ट्रैक करना आसान होता है. इसके साथ ही लॉन्चिंग के बाद इन मिसाइलों की दिशा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है.

लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल के साथ लॉन्चिंग के बाद दिशा परिवर्तन संभव है. ये मिसाइल वायुमंडल में हाइपरसोनिक स्पीड से ग्लाइड करती हैं और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं. चूंकि ये बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह आर्क और प्रॉजेक्टाइल नहीं बनाती हैं, इस वजह से इनके लक्ष्य का पता लगाना काफ़ी मुश्किल होता है. ऐसे में ये एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पकड़ में नहीं आती हैं."

सरल शब्दों में कहें तो अगर कोई मुल्क हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करता है तो उसे एंटी डिफेंस मिसाइल सिस्टम की मदद से रोकना लगभग नामुमकिन होगा.

क्योंकि इस तकनीक से लैस मिसाइलों की दिशा को लॉन्चिंग के बाद निर्देशित किया जा सकता है. ये मिसाइल राडार की पकड़ में भी नहीं आती हैं. इससे इन मिसाइलों के लक्ष्य को लेकर एक भ्रम की स्थिति पैदा होती है.


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