उत्तराखंड में ट्रेकिंग पर गए सात लोगों के शव मिले, दो अब भी लापता

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उत्तराखंड में आयी आपदा के दौरान उच्च हिमालयी इलाक़ों में हुई बर्फ़बारी की वजह से अलग-अलग ट्रैक्स पर फंस गए ट्रैकर्स में से कम से कम 7 ट्रैकर्स के मारे जाने की ख़बर है.🙏 कई ट्रैकर्स अब भी लापता हैं और कई फंसे हुए ट्रेकर्स को चॉपर्स की मदद से रेस्क्यू किया जा रहा है.

18-19 अक्टूबर को हुई बर्फ़बारी के बाद से उत्तरकाशी ज़िले के हर्षिल इलाके़ से हिमाचल के चितकुल के लिए ट्रैक पर निकले 11 लोगों का एक ग्रुप लापता हो गया था.

उत्तरकाशी पुलिस ने इस ग्रुप के सात लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है और दो लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है पर दो अब भी लोग लापता हैं.

उत्तरकाशी के एसपी मणिकांत मिश्रा ने मिड़ीया को बताया, ‘‘पांच ट्रैकर्स की लाशें रेस्क्यू कर उत्तरकाशी लाई गई हैं जबकि 2 ट्रैकर्स की लाशों को हिमाचल में आईटीबीपी के कैम्प में ले जाया गया है. दो लोग सुरक्षित रेस्क्यू किए गए हैं जिनमें से एक व्यक्ति को उत्तरकाशी ले आया गया है. अन्य दो की तलाश जारी है.’’

वहीं बागेश्वर ज़िले के सुंदरढूंगा ग्लेशियर के ट्रैक पर 6 और ट्रेकर्स लापता हैं. प्रशासन ने कहा है कि स्थानीय पोटर्स और गाइड ने इन ट्रैकर्स के हिमस्खलन की चपेट में आने की आशंका जताते हुए प्रशासन को सूचित किया है.🙏 ज़िला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बीबीसी को बताया, ‘‘ट्रैक से वापस लौटे पोटर्स और गाइड्स ने सूचित किया है कि 6 ट्रैकर्स का एक दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया था. चॉपर्स की मदद से खोज अभियान जारी है.’’

शिखा सुयाल ने बताया कि पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक में द्वाली के पास पुल बह जाने से फंस गए 42 ट्रेकर्स को प्रशासन और एसडीआरएफ़ की टीम ने सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है. साथ ही सरमूल ग्लेशियर ट्रेक से 7 और सुंदरढूंगा से 4 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है.

इधर पिथौरागढ़ ज़िले की दार्मा और ब्यास घाटी में भी कई ट्रैकर्स फ़ंसे हुए हैं और प्रशासन का कहना है कि कइयों को सुरक्षित रेस्क्यू भी किया गया है.

पिथौरागढ़ के एसपी लोकेश्वर सिंह ने बताया, ‘‘दार्मा घाटी से पिछले दो दिनों में चॉपर्स की मदद से 51 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है. लोग अलग-अलग जगहों में फंसे हुए हैं. आर्मी और एयर फ़ोर्स की मदद से इन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है. ब्यास घाटी से भी 31 लोगों को रेस्क्यू किया गया है.’

लोकेश्वर सिंह ने बताया कि इस इलाक़े में भूस्खलन या एवलांच की चपेट में आकर किसी ट्रेकर की मौत नहीं हुई है जबकि ओम पर्वत के पास ज्योलिंगकॉंग में एक 70 वर्षीय श्रद्धालु की हाइपोथर्मिया से मौत हुई है.


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