मैक्रों के साथ बैठक में बोले बाइडन, ऑकस समझौते के दौरान बरती गई नासमझी

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को रोम में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एक मुलाक़ात में कहा है कि अमेरिका ने ऑकस समझौते के दौरान नासमझी बरती.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऑकस सुरक्षा समझौते के बाद ये पहला मौक़ा था, जब दोनों देशों के राष्ट्रपति आमने-सामने थे.

इस समझौते की वजह से फ्रांस को ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डील से हाथ धोना पड़ा है.

समझौते की ख़बर सार्वजनिक होने के बाद फ्रांस और अमेरिका के बीच रिश्तों में कड़वाहट देखी गई थी.

ये मुलाक़ात रोम में होने वाले जी-20 और ग्लासगो में सीओपी26 समिट से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति की दुनिया के तमाम नेताओं से होने वाली बैठकों में से एक थी.

इस दौरान बाइडन ने कहा, “हमने जो किया वह नासमझी भरा था. मैं ये मानकर चल रहा था कि फ्रांस को इस बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी.

ऑकस समझौते में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत कई अन्य तकनीकें भी शामिल हैं. यह पिछले कई दशकों में ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े रक्षा समझौते में से एक है. इसके साथ ही इसे चीन से मुक़ाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

इस समझौते ने साल 2016 में फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते को ख़त्म कर दिया, जिसके तहत फ्रांस 12 पारंपरिक पनडुब्बियां बनाने जा रहा था.

समझौते की ख़बर आने के बाद फ्रांस के विदेश मंत्री ने इसे पीठ में खंजर मारने की संज्ञा दी थी. और फ्रांस ने तात्कालिक रूप से ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था.

इस बैठक के बाद मैक्रों ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि, भरोसा प्यार की तरह होता है. इसमें वादे ठीक हैं लेकिन ठोस ज़मीन ज़्यादा बेहतर होती है.'


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