दूसरे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक अमेरिका पर होंगी दुनिया की नज़रें

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जलवायु परिवर्तन के संबंध में कार्बन उत्सर्जक देशों चीन और भारत को लेकर काफ़ी चर्चाएं हो रही है लेकिन ग्लासगो में कुछ लोगों की नज़रें दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश अमेरिका पर भी होंगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी इस मुद्दे पर बजट से जुड़े एक अधिनियम के माध्यम से एक बड़े निवेश की योजना बना रही है. लेकिन इस बिल पर कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में मतदान होना है और इस अधिनियम में शामिल चीजों को लेकर बातचीत जारी है.

लंदन स्थित एसओएएस यूनिवर्सिटी से जुड़ीं अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जानकार डॉ लेसली विंजामुरी मानती हैं कि ये संभव है कि बाइडन के बिल को अंतिम रूप न मिल पाए लेकिन अगर ये पास होता है तो ये काफ़ी परिवर्तनकारी साबित हो सकता है.

वह कहती हैं कि इस अधिनियम को लेकर जो कुछ बातचीत चल रही है, उसके केंद्र में ये है कि वो कौन सी चीजें जिन्हें निकालकर इस बिल को पास करने के लिए ज़रूरी समर्थन जुटाया जा सकता है.

लेकिन इस बिल में अभी भी 550 अरब अमेरिकी डॉलर हैं जिसमें सोलर और विंड पॉवर के लिए टैक्स क्रेडिट, और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में निवेश शामिल है.

अमेरिका में जलवायु परिवर्तन को लेकर रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के विचार एक जैसे नहीं हैं. बल्कि दोनों पक्षों के विचार एक दूसरे से काफ़ी भिन्न हैं.

ऐसे में राष्ट्रपति बाइडन के लिए इस अधिनियम को पास कराना एक खड़ी चढ़ाई पर चढ़ने जैसा है.


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