अमित शाह ने क्यों संभाली कमान?

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वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चुनावी क्षेत्र है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी के आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने की शुरुआत यहीं से होने के संकेत भी साफ़ हैं.

 हाल ही में अपने लखनऊ के दौरे के क्रम में अमित शाह ने कहा था, "मोदी जी को यदि 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाना है, तो 2022 में फिर एक बार योगी जी को मुख्यमंत्री बनाना पड़ेगा.

अमित शाह का इशारा साफ़ था और जानकारों का कहना है कि उन्होंने इसलिए ही चुनावी रणनीति की कमान फिर से अपने हाथों में ले ली है.

हालांकि, उनका अभी का ये दौरा पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है, जो चुनावी रणनीति के हिसाब से इसलिए भी अहम हैं क्योंकि ये इलाक़ा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है.

अमित शाह इस दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में एक जनसभा करेंगे. इस दौरे की फ़ेहरिस्त में बस्ती और गोरखपुर भी शामिल हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण हैं.

मूलतः गुजरात के रहने वाले और वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी के संगठन प्रभारी सुनील ओझा, गृह मंत्री अमित शाह के दौरे को लेकर काफ़ी व्यस्त हैं.

मगर इसी दौरान समय निकलकर बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "2014 के आम चुनाव हों, या 2017 के विधानसभा चुनाव या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव, अमित शाह ने काशी को ही अपना ठिकाना बनाया और यहीं से उत्तर प्रदेश के लिए रणनीति तैयार की जिसके परिणाम सबके सामने हैं."

ओझा का कहना है कि ठीक चुनावों से पहले वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मुलाक़ात नई ऊर्जा भरने का काम करती है. पूछे जाने पर वो कहते हैं कि पूर्वांचल में पिछले विधानसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. इसलिए अमित शाह के चुनावी दौरे की औपचारिक शुरुआत इन्हीं इलाक़ों से हुई है.


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