बीजेपी को चुनाव से पहले बिरसा मुंडा और आदिवासियों की याद क्यों आ रही है?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह आदिवासी समाज के नायक रहे बिरसा मुंडा की जयंती के मौक़े पर संसद में उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की, झारखंड की राजधानी रांची में बिरसा मुंडा की याद में एक संग्रहालय का अनावरण किया, और साथ ही ऐलान किया कि अब से बिरसा मुंडा की जयंती यानी 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा.

इसके बाद प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जनजातीय गौरव कार्यक्रम में हिस्सा लिया और वहाँ के हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया जो एक गोंड रानी थीं.

लेकिन बात सिर्फ़ मध्य प्रदेश, झारखंड की नहीं है. बीजेपी पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात तक अलग-अलग तरीक़ों से आदिवासी समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है.

उसकी ये रणनीति उसके विरोधियों और राजनीतिक पर्यवेक्षकों को अचरज में डाल रही है. क्योंकि जिन पाँच राज्यों में कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं और वहाँ आदिवासियों की संख्या को देखते हुए ये सवाल उठता है कि बीजेपी आख़िर इस चुनावी दौर में आदिवासियों को इस स्तर पर क्यों साध रही है जब इससे चुनावी हित सधता हुआ नहीं दिख रहा है.


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